समस्तीपुर. बिहार में प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक अराजक स्थिति में है. सरकार ने सुधार की शुरुआत स्कूली शिक्षा में सुधार से की है. स्कूलों में बच्चों का नामांकन महज सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए न हो, बल्कि बच्चों को शिक्षित करने का मुख्य लक्ष्य भी पाया जा सके, इसके लिए शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक पहल कर रहे हैं. इसके बावजूद बहुत भी पटरी पर नहीं आया है. अब सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ लेकर स्कूल से फरार छात्रों की नकेल कसी जा रही है. स्कूलों से ऐसे छात्रों की अनुपस्थिति को लेकर शिक्षा विभाग सख्त हो गया है. बिहार के तमाम जिलों के विद्यालय में नामांकन के बावजूद लंबे समय तक कक्षाओं से गायब रहने वाले बच्चों का नामांकन रद्द करने का निर्देश दिया जा चुका है.
815 में से 670 विद्यालयों ने अनुपस्थित छात्रों को मेधा सॉफ्ट पोर्टल पर लाल निशान
समस्तीपुर के डीपीओ योजना एवं लेखा नितेश कुमार ने बताया कि 815 में से 670 विद्यालयों ने अनुपस्थित छात्रों को मेधा सॉफ्ट पोर्टल पर लाल निशान लगा मुख्यालय को रिपोर्ट कर दी है. वहीं 145 विद्यालयों ने स्पष्ट किया है कि उनके यहां छात्र अनुपस्थित नहीं है. शैक्षणिक सत्र 2023-24 के तहत नामांकन रद्द किये गये ऐसे छात्र-छात्राओं को चिह्नित करने का निर्देश माध्यमिक शिक्षा निदेशक सह डीबीटी कोषांग के नोडल पदाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी व डीपीओ योजना एवं लेखा को दिया है. जिला शिक्षा पदाधिकारी मदन राय ने बताया कि स्कूलों के निरीक्षण के क्रम में मानक के अनुसार कक्षाओं में अनुपस्थित रहने वाले छात्र-छात्राओं का नामांकन रद्द किया गया है. ऐसे बच्चों की पहचान के लिए एनआइसी की ओर से तैयार किये गये मेधा सॉफ्ट पोर्टल पर सुविधा उपलब्ध कराई गई है.
लाभुकों का नाम मेधा सॉफ्ट पोर्टल पर अंकित करना होगा
प्रधानाध्यापकों की सहायता से नामांकन रद्द किये गये बच्चों का रिकॉर्ड पोर्टल पर दर्ज कराया गया है. जारी निर्देश में कहा गया है कि सत्र 2023-24 के तहत पात्र लाभुकों का नाम मेधा सॉफ्ट पोर्टल पर अंकित करना है. वैसे छात्र-छात्राएं जिनका नामांकन विद्यालय प्रधान द्वारा रद्द किया गया है वैसे छात्रों का नाम मेधा सॉफ्ट पोर्टल से हटाने का निर्देश जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा सभी एचएम को दिया गया था. लाभुक आधारित योजनाओं के लिए मेधासॉफ्ट पोर्टल पर अंकित वैसे लाभुकों का नाम जिनका नामांकन रद्द किया गया है, को संबंधित विद्यालयों के प्रधानाध्यापक के माध्यम से चिन्हित करा कर मुख्यालय/ एनआईसी को उपलब्ध कराने का निदेश दिया गया था.