पटना. प्रदेश में अब अगले 15 साल तक किसी भी नये कॉलेज को संबद्धता नहीं दी जायेगी. यहां तक कि पुराने कॉलेजों की संबद्धता का नवीनीकरण भी नहीं होगा. इस संबंध में शिक्षा विभाग एक अहम निर्णय लेने जा रहा है. दरअसल, नयी शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालयों को संबद्धता देने का अधिकार खत्म किया जा रहा है.
नयी शिक्षा नीति के तहत अब प्रत्येक संबद्धता प्राप्त कॉलेज स्वायत्त संस्थान के रूप में काम करेगा. शिक्षा विभाग इस दिशा में गंभीरता से प्रयास करने जा रहा है. प्रदेश के विश्वविद्यालयों के सूत्रों के मुताबिक नयी शिक्षा नीति को राज्य सरकार प्रभावी रूप से नये शैक्षणिक सत्र से लागू करने जा रही है. नयी शिक्षा नीति चरणबद्ध ढंग से प्रभावी की जानी है.
फिलहाल अगले कुछ सालों में समूचे संबद्धता प्राप्त कॉलेज संबद्ध न होकर पूरी तरह स्वायत हो जायेंगे. संबद्धता की अनिवार्यता खत्म हो जाने से निजी कॉलेजों को अपनी जरूरत के हिसाब से निर्णय लेने की छूट हो जायेगी. सरकारी हस्तक्षेप खत्म हो जायेगा. हालांकि, इन सभी कॉलेजों की फीस की एकरूपता रखनी होगी. वर्तमान में संबद्धता प्राप्त कॉलेजों की संख्या 250 से अधिक है.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक नये शैक्षणिक सत्र से स्ट्रीम में शिथिलता दी जायेगी. आहिस्ता-आहिस्ता सब्जेक्ट के नेचर के हिसाब से स्ट्रीम की अनिवार्यता खत्म करने की चरणवार रणनीति भी बनायी जा रही है. जल्दी ही उसे भी सार्वजनिक कर दिया जायेगा. उल्लेखनीय है कि विज्ञान, कला और वाणिज्य की सीमा रेखा खत्म कर दी जायेगी.
कला का विद्यार्थी विज्ञान विषय की पढ़ाई भी कर सकेगा. फिलहाल शिक्षा विभाग नये शैक्षणिक सत्र 2021-22 से नयी शिक्षा नीति को धरातल पर लाने जा रहा है. सारे कॉलेज एक छतरी के तहत काम करेंगे.
जानकारी के मुताबिक नैक के लिए भी शिक्षा विभाग एक रणनीति के तहत काम कर रहा है. इसके लिए अलग से कंसल्टेंट की भी नियुक्ति की गयी है. हालांकि, लॉकडाउन की वजह से कंसल्टेंट इस दिशा में अभी कोई भी काम धरातल पर नहीं उतार पा रहे हैं.
Posted by Ashish Jha