मुजफ्फरपुर, सोमनाथ सत्योम: लाइफ स्टाइल डिजिटल हो रहा है. ठीक इसी तरह दफ्तर भी डिजिटल और पेपरलेस हो रहे हैं. अब दफ्तरों के 60 फीसदी से अधिक काम पेपरलेस हो गये है. ई-मेल, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम से पत्राचार शुरू हो गया है. इससे कार्यवाही में तेजी आयी है और परिणाम जल्दी मिलने लगा है. इससे पर्यावरण स्वच्छ हो रहा है. सबसे अहम बात यह है कि सरकारी या निजी दफ्तरों में मैसेंजरों की पूछ घटती जा रही है. साथ ही मिसलेनियस खर्च में भी भारी कमी आयी है.
जानकारों की माने तो ई-मेल, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम के प्रचलन में आने से कुछ विभागों में शिकायत बहुत आ रही है. लेकिन, शिकायतों के आलोक में उसका निष्पादन भी उतनी ही तेजी से किया जा रहा है. अधिकारी रिपोर्ट भी ई-मेल, व्हाट्सएप से मांग रहे हैं. उसका निष्पादन कर त्वरित आदेश भी जारी कर रहे है.
बताया जाता है कि इन दिनों पुलिस, जिला प्रशासन, स्वास्थ्य, रेलवे आदि जैसे संवेदनशील विभाग अपनी दैनिक रिपोर्ट भी सोशल मीडिया के माध्यम से अधिकारियों को भेजते हैं. कर्मचारी यूनियन भी इन दिनों सोशल मीडिया ग्रुप तैयार कर आंदोलन का आह्वान करते हैं.
जिले में 41 थाना और ओपी हैं. इन्हें 20 हजार प्रति थाना और ओपी मिस्लेनियस खर्च के रूप में दिये जाते हैं. यानी चार लाख 20 हजार रुपये थानेदारों के दिये जाते हैं. लेकिन, पेपरलेस काम होने की वजह से इसमें प्रतिदिन 100 से 200 रुपये तक की बचत हो रही है. यानी पेपरलेस होने की वजह से एक माह में ढ़ाई लाख रुपये की बचत हो रही है.
लाइफ स्टाइल पर डिजिटलाइजेशन का असर ऐसा है कि बस से लेकर हवाई जहाज तक के टिकट पेपरलेस हो गये हैं. सिनेमा हॉल,शापिंग सेंटर, ट्रेन टिकट, ऑनलाइन मार्केट आदि भी पेपरलेस हो चुका है.
-
कार्यवाही में तेजी और त्वरित सुनवाई या परिणाम
-
पर्यावरण हो रहा सुदृढ़ और धनराशि की भी हो रही बचत
-
मैसेंजर पर होने वाले खर्च पर भी लग रहा अंकुश
-
विभागीय आदेश व कार्रवाई की बनी रहती है गोपनीयता