23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सरकारी योजनाएं नहीं बदल सकीं स्थिति, कैमूर पहाड़ी पर 17 गांवों के लिए चुएं का पानी ही जीवन का सहारा

Water Crisis: गांव की अकमानी देवी बताती हैं कि उनकी उम्र लगभग 75 साल हो गयी है. 75 साल पहले भी चुएं का पानी ही सहारा था और आज भी वही जीवन बचा रहा है. पानी के लिए प्रतिदिन एक किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ पर उस जगह जाते हैं, जहां पहाड़ी से पानी रिस-रिस कर आता है.

विकास कुमार: कैमूर जिले की पहाड़ियों पर अब भी करीब सात हजार आबादी चुएं के पानी पर निर्भर है और यही इनके जीवन का मुख्य सहारा है. जिले के दो प्रखंडों अधौरा (11 पंचायतें) और चैनपुर (दो पंचायतों) के 17 गांवों के लोग इसी तरह से अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं. इन इलाकों में पानी पहुंचाने के लिए सरकार की ओर से कोशिशें भी हुईं और 2019 से 2021 तक यहां की 13 पंचायतों (अधौरा की 11 और चैनपुर की दो) में नल जल योजना पर करीब 15 करोड़ रुपये खर्च हुए, पर फायदा नहीं मिला. उदाहरणस्वरूप चैनपुर प्रखंड की डुमरकोन पंचायत के धूमरदेव गांव में पांच चापाकल हैं, लेकिन सभी जवाब दे चुके हैं.

75 साल पहले भी चुएं का पानी ही सहारा था और आज भी

नल जल योजना के लिए पानी की टंकी का स्टैंड लगा है, पर टंकी बैठायी ही नहीं गयी है. सभी कुएं भी सूख चुके हैं. गांव की अकमानी देवी बताती हैं कि उनकी उम्र लगभग 75 साल हो गयी है. 75 साल पहले भी चुएं का पानी ही सहारा था और आज भी वही जीवन बचा रहा है. सरकार की तरफ से पानी के लिए की गयी सभी व्यवस्थाएं जवाब दे चुकी हैं. पानी के लिए प्रतिदिन एक किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ पर उस जगह जाते हैं, जहां पहाड़ी से पानी रिस-रिस कर आता है और वहां से प्रतिदिन तसला व डब्बे में पानी ढोकर अपने गांव लाते हैं और उसी से अपनी प्यास बुझाते हैं.

पानी के लिए महिलाओं की लगी रहती है लंबी कतार

यह कहानी सिर्फ धूमरदेव गांव की नहीं है, बल्कि कैमूर पहाड़ी पर स्थित बघैला, करर दुग्धा, सारोदाग सहित दर्जनों इलाकों की है. गर्मी के दिनों में पहाड़ से रिस-रिस कर आनेवाले पानी की रफ्तार धीमी पड़ जाती है. गांव के लालमुनी सिंह कहते हैं कि चुआं हमारे जीवन की डोर की तरह है. जिस दिन बंद हो जायेगा, उस दिन हमारे जीवन की डोर भी टूट जायेगी. तीन पीढ़ियों से इसी चुएं के सहारे अपनी प्यास बुझा रहे हैं. गर्मी के दिनों में जब चुएं के पानी की रफ्तार धीमी पड़ जाती है, तो चार बजे भोर से लेकर आठ बजे रात तक पानी के लिए महिलाओं की लंबी कतार लगी रहती है. यह स्थिति कमोबेश पूरे कैमूर पहाड़ी की है. आज इस भीषण गर्मी में पहाड़ के ऊपर अधिकतर चापाकल जवाब दे चुके हैं.

Also Read: बिहार में तय समय पर नगर निकाय चुनाव संभव नहीं, नौ जून के बाद प्रशासकों को मिलेगी जिम्मेदारी
क्या कहते हैं मंत्री

इस मामले को लेकर कैमूर के प्रभारी मंत्री व पीएचइडी मंत्री रामप्रीत पासवान ने बताया कि वहां पानी की समस्या को दूर करने के लिए टैंकर से पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गयी है. फिर भी वहां पानी की गंभीर समस्या है. अधिकारियों से बात कर रहे हैं कि कैमूर पहाड़ी को लेकर ऐसी कोई योजना बनायी जाये, जिससे पानी की समस्या को स्थायी तौर पर दूर किया जा सके. इसके लिए मुख्यमंत्री से बात कर वहां की स्थिति को बतायेंगे, ताकि इसका स्थायी निदान निकल सके.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें