राजधानी पटना की पावन धरती पर पहली बार महाराणा प्रताप भवन में तीन दिवसीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. गुरुवार को बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने दीप प्रज्वलित कर इसका उद्घाटन किया. वहीं इससे पहले महावीर मंदिर से महाराणा प्रताप भवन तक शोभा यात्रा निकाली गई. इस सम्मेलन का आयोजन महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान (उज्जैन) और महावीर मंदिर (पटना) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है. इस सम्मेलन के पहले दिन पांच राज्यों के वैदिक गुरुओं और शिष्यों ने एक साथ पाठ किया.
वैदिक ऋचाओं के भावों को सहज एवं सरल ढंग से प्रस्तुत करने की आवश्यकता : राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि हमारी परंपरा व आध्यात्मिकता तथा वर्तमान आधुनिकता के बीच समन्वय स्थापित करते हुए वैदिक ऋचाओं के भावों को आज के परिप्रेक्ष्य में सहज एवं सरल ढंग से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है ताकि सब लोग इन्हें आसानी से समझ सकें. उन्होंने कहा कि एक हजार साल की विदेशी गुलामी और आक्रमणों के बावजूद हमारी आध्यात्मिक चेतना जीवित है. मैक्समूलर सहित अनेक विदेशी विद्वानों ने वेदों की व्याख्या अपने तरीके से की और इसमें उनका हित निहित था.
बच्चों की शिक्षा में शामिल किया जाना चाहिए वेद अध्ययन : राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर
आर्लेकर ने देश में समरसता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इसका भाव वेदों से आता है. उन्होंने कहा कि बच्चों की शिक्षा में वेदाध्ययन को शामिल किया जाना चाहिए. बिहार की समृद्ध परंपरा रही है. युवा पीढ़ी के बीच वेद के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा आध्यात्मिकता में निहित है तथा हजारों वर्षों से हमने इसे संजोया है. सबके प्रयासों से इस विषय को आगे लेकर बढ़ने से ही हम भारत को विश्वगुरु बना सकेंगे.
धर्म का आधार हैं वेद : किशोर कुणाल
आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि वेद धर्म का आधार हैं. महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान वेदों के संवर्धन के लिए प्रशंसनीय कार्य कर रहा है. कुणाल ने बिहार के वैशाली स्थित इस्माइलपुर या पूर्वी चंपारण स्थित कैथवलिया में वेद विद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव रखा. उन्होंने कहा कि दोनों स्थानों में कहीं भी महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान यदि संबद्धता देगा तो महावीर मंदिर वहां वेद विद्यालय का निर्माण एवं उसकी स्थापना करेगा. इसके लिए दोनों स्थानों पर पर्याप्त जमीन उपलब्ध है. आचार्य किशोर कुणाल ने 11 हजार रुपये सालाना से 10 लाख रुपये प्रतिदिन महावीर मंदिर की आय होने के पीछे पारदर्शिता को आधार बताया. उन्होंने राम रसोई, सीता रसोई, गरीब मरीजों को सहायता समेत जनहित के कार्यों की जानकारी दी.
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