बिहार के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर में शनिवार को 18वें इंटरनेशनल त्रिपिटक चैंटिंग का राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से ही शांति का संदेश दिया है. इस उद्घाटन समारोह में दक्षिण-पूर्व एशिया के 13 देशों के संघराजा सहित हजारों श्रद्धालु व भिक्षु शामिल हुए. जिन्हें संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि भारत में जो भी धर्म का उदय हुआ है वे संस्थापित हुए हैं, सभी के मूल में शांति की रही है. उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों से हमारी धारणा मानवता में विश्वास रखने की रही है.
राज्यपाल ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम का संदेश के साथ भारत ने हमेशा से दुनिया को शास्त्र दिया है न कि शस्त्र. राज्यपाल ने पिछले दिनों दलाई लामा से अपनी मुलाकात का उल्लेख करते हुए कहा कि बौद्ध धर्मगुरु ने उन्हें गले से लगाया था व कहा था कि भारत ने अहिंसा व करुणा का संदेश दिया है. इसे जारी रखना है व दुनिया में इसका ज्यादा से ज्यादा प्रसार कराना है.
राज्यपाल ने कहा कि आज यहां महाबोधि मंदिर में पवित्र बोधिवृक्ष की छांव तले 13 से ज्यादा देशों के श्रद्धालुओं व भिक्षुओं से यही अपील है कि त्रिपिटक चैंटिंग के बाद जब वे अपने वतन को लौटें, तब अहिंसा व करुणा के साथ मानवता व भाईचारे का संदेश को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें.
राज्यपाल ने बिहार के सांस्कृतिक धरोहरों का राज्य बताते हुए कहा कि विभिन्न देशों से यहां आये श्रद्धालुओं का वह स्वागत करते हैं व किसी तरह की असुविधा को भूलते हुए विश्व शांति की कामना करने की अपील करते हैं. यहां आयोजित 11 दिवसीय त्रिपिटक चैंटिंग के माध्यम से दुनिया को निश्चित रूप से शांति का संदेश पहुंचेगा.
इससे पहले राज्यपाल ने महाबोधि मंदिर में पूजा-अर्चना की व बोधिवृक्ष के नीचे बुद्ध मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्वलित कर चैंटिंग का उद्घाटन किया. इस अवसर पर भारत में प्रतिनियुक्त कंबोडिया के राजदूत ने भी भारत व कंबोडिया के प्राचीन रिश्तों का हवाला देते हुए इस वर्ष के त्रिपिटक चैंटिंग का आयोजक बनने पर प्रसन्नता जाहिर की.
राज्यपाल ने चैंटिंग के माध्यम से विश्व में बुद्ध के संदेश का प्रसार व शांति की कामना की. इससे पहले विभिन्न देशों के मुख्य भिक्षुओं ने अपनी-अपनी बात रखी. सुबह में सभी प्रतिभागी देशों के श्रद्धालुओं व भिक्षुओं ने आकर्षक झांकी भी निकाली.
प्रतिदिन का शेड्यूल : तीन दिसंबर से 12 दिसंबर तक त्रिपिटक चैंटिंग के तहत सुबह 5:30 से 6:45 बजे तक कालचक्र मैदान में नाश्ता, सात बजे से नौ बजे तक बोधिवृक्ष के नीचे त्रिपिटक चैंटिंग का शुभारंभ, नौ बजे से 9:15 बजे तक चाय के लिए ब्रेक, 9:15 बजे से 11 बजे तक चैंटिंग , 11 से एक बजे तक लंच ब्रेक, 1:30 बजे से 3:30 बजे तक चैंटिंग, 3:30 से 3:45 बजे तक टी ब्रेक, 3:45 से 5:00 बजे तक चैंटिंग व इसके बाद शाम छह बजे से रात नौ बजे तक बोधिवृक्ष के नीचे धम्म पर प्रवचन दिया जायेगा.
बोधगया में बढ़ी चहल-पहल : त्रिपिटक चैंटिंग को लेकर विभिन्न 11 देशों से यहां पहुंचे हजारों की संख्या में श्रद्धालु व भिक्षुओं के कारण बोधगया में चहल-पहल बढ़ गयी है. मुख्य रूप से महाबोधि मंदिर क्षेत्र में विभिन्न देशों के श्रद्धालुओं के एक ही स्थान पर दिखने के कारण बोधगया इन दिनों दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों की संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले स्थल के रूप में दिख रहा है. बोधगया भ्रमण पर आये विभिन्न देशों व राज्यों के श्रद्धालुओं के लिए भी इन दिनों यहां दर्शनीय माहौल बना हुआ है. आयोजन समिति की ओर से विभिन्न देशों के फूलों से सजावट की गयी है. महाबोधि मंदिर परिसर में भी खूबसूरती के साथ सजावट की गयी है.
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