पटना . पिछले चार माह से वेतन बढ़ोत्तरी की प्रतीक्षा कर रहे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एक लाख से अधिक कर्मियों में केंद्र सरकार द्वारा एक अप्रैल को जारी अधूरे वेतन पुनरीक्षण अधिसूचना को लेकर आक्रोश है.
दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के महासचिव नदीम अख्तर ने बताया कि मई के प्रथम सप्ताह में दो दिनों की देशव्यापी हड़ताल की जायेगी. इससे पहले अप्रैल के तीसरे सप्ताह वित्त मंत्री सहित तमाम प्रमुख अधिकारियों से दिल्ली मे मुलाकात कर आदेश में संशोधन की मांग की जायेगी.
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव डीएन त्रिवेदी ने बताया कि 31 जनवरी, 2001 को सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि राष्ट्रीयकृत बैंक में लागू द्विपक्षीय वेतन पुनरीक्षण समझौता ग्रामीण बैंक में भी लागू किया जाये. लेकिन वित्त मंत्रालय ने एक नवंबर, 2017 से बकाये वेतन का भुगतान नौ महीने बाद करने और सुविधाओं को प्रायोजक बैंकों के भरोसे छोड़ दिया गया है.
बैंकिंग उद्योग में मिलने वाले चार नये लाभों को दिये जाने पर विचार ग्रामीण बैंकों की रिस्ट्रक्चरिंग के बाद किये जाने की शर्त रखी गयी है. देश भर में कार्यरत 43 ग्रामीण बैंकों के एक लाख कर्मियों में आक्रोश है.
ग्रामीण बैंकों की शीर्ष यूनियनों के यूनाइटेड फोरम की बैठक में निर्णय लिया गया है कि इस आदेश के खिलाफ ग्रामीण बैंककर्मी सड़क पर उतरेंगे व विरोध प्रदर्शन करेंगे और सात अप्रैल को देश भर के ग्रामीण बैंक मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किये जायेंगे.
वित्त सचिव को संबोधित मांगों का ज्ञापन बैंक चेयरमैन को सौंपा जायेगा. आरोप लगाया गया कि ग्रामीण बैंक के वेतन पुनरीक्षण मामले में केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय न्यायाधिकरण का अपमान कर रही है.
Posted by Ashish Jha