Loading election data...

Bihar : रेलवे की नजर में ग्रेड ए, पर नौ माह से दरभंगा जंक्शन पर लोगों को नहीं मिल रही स्टैंड की सुविधा

इसका खामियाजा सर्वाधिक राजस्व देनेवाले स्टेशन के यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है. जंक्शन पर करीब नौ महीने से साइकिल-मोटरसाइकिल स्टैंड का संचालन नहीं हो रहा.

By Prabhat Khabar News Desk | March 7, 2022 3:54 PM

दरभंगा. यात्रियों की सुविधा का दंभ भरनेवाला रेल प्रशासन इस दिशा में कतई संजीदा नहीं है. यही कारण है कि सुविधा विस्तार के बदले दरभंगा जंक्शन पर यह सिकुड़ती ही जा रही है. इसका खामियाजा सर्वाधिक राजस्व देनेवाले स्टेशन के यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है. जंक्शन पर करीब नौ महीने से साइकिल-मोटरसाइकिल स्टैंड का संचालन नहीं हो रहा.

यहां आनेवाले यात्री तथा उनके परिजन भगवान भरोसे अपनी गाड़ी लगाते हैं. इस वजह से इन दिनों बाइक चोरी की घटना में इजाफा भी हो गया है. इस पर नकेल कसने के लिए जीआरपी को पसीना बहाना पड़ रहा है. आश्चर्यजनक पहलू यह है कि इस सुविधा को बहाल करने की दिशा में प्रशासन की ओर से धरातल पर परिणामदायी पहल होती भी नजर नहीं आ रही.

टेंडर में नहीं लेता कोई हिस्सा: इस बीच रेल प्रशासन की ओर से कई बार टेंडर निकाला गया, लेकिन किसी ने हिस्सा नहीं लिया. सूत्र बताते हैं कि कई ठेकेदारों से भी रेलवे के अधिकारियों ने संपर्क कर इसमें भाग लेने का आग्रह किया, लेकिन अधिक राशि होने के कारण कोई तैयार नहीं हुआ.

पिछले साल 25 जून को खत्म हो गयी थी सुविधा

यात्रियों की सुविधा के लिए रेल प्रशासन ने जंक्शन पर साइकिल-मोटरसाइकिल स्टैंड का प्रबंध कर रखा है. इससे एक ओर जहां रेलवे को प्रतिवर्ष लाखों की आय हो रही थी, वहीं यात्रियों को भी सुविधा मिल रही थी, लेकिन, कोरोना काल के बाद किरण कुमारी की टेंडर अवधि 25 जून 2021 को समाप्त हो गयी. इसके बाद दुबारा हुए टेंडर में किसी ने जवाबदेहीपूर्वक हिस्सा ही नहीं लिया.

रेल प्रशासन ने इस परिसर में वाहन लगाने को नि:शुल्क घोषित करते हुए एक बोर्ड लटका दिया. स्थायी समाधान के लिए आज तक प्रबंध नहीं किया. बता दें कि जंक्शन पर नित्य औसतन 30 से 35 हजार यात्री आवागमन करते हैं. बड़ी संख्या में यात्री अपने परिजन को छोड़ने या रिसीव करने पहुंचते हैं. पार्सल या टिकट के लिए भी लोगों का आगमन होता है.

समस्या की वजह

इस समस्या का बीजारोपण करीब एक दशक पहले हुआ था. दो ठेकेदारों के बीच बोली को लेकर मामला न्यायालय में चला गया था. दोनों ठेकेदारों ने इसे प्रतिष्ठा का विषय बना लिया, लिहाजा स्टैंड की क्षमता के कई गुणा अधिक राशि हो गयी. बताया जाता है कि ठेके की राशि व अन्य कर आदि को जोड़कर लगभग साढ़े चौदह लाख सालाना पर टेंडर दिया गया था.

इस बीच लगभग 18 लाख का टेंडर निकाला गया, जिससे घाटे का सौदा देखते हुए सभी ने अपने कदम खींच लिये. सूत्रों की माने, तो अब जाकर रेल प्रशासन ठेके की राशि कम करने की प्रक्रिया में जुटी है, जिसमें और अधिक वक्त लगने के आसार हैं.

इस स्थिति में जीआरपी थानाध्यक्ष रामजी उपाध्याय ने आम यात्रियों से अपने वाहन की सुरक्षा के प्रति पूरी सतर्कता बरतने की अपील की है. बाहरी परिसर में वाहनों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त बल को तैनात रखा जा रहा है.

Next Article

Exit mobile version