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बिहार में महागठबंधन सरकार के हुए एक साल, जानें 12 माह में घटी 12 प्रमुख घटनाएं

नई सरकार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने. महागठबंधन की सरकार बने अब एक साल पूरा हो चुका है. इस एक साल में बिहार की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिला. जानिए इस एक साल में क्या कुछ हुआ.

पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार ने आज एक साल पूरे कर लिये. राजद, कांग्रेस सहित सात पार्टियां की मिलकर बिहार में सरकार बनायी. आज ही के दिन महागठबंधन की सरकार बनी थी. नई सरकार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने. महागठबंधन की सरकार बने अब एक साल पूरा हो चुका है. इस एक साल में बिहार की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिला. जानिए इस एक साल में क्या कुछ हुआ.

1. 20 लाख लोगों को रोजगार के अवसर देने का वादा

महागठबंधन की सरकार बनने के एक सप्ताह बाद ही नीतीश कुमार ने 15 अगस्त 2022 को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 10 लाख नौकरी और 10 लाख रोजगार देने की घोषणा की थी. इस एक साल में एक लाख 70 हजार शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया को छोड़ कोई बड़ी बहाली नहीं हो पाई है, जिसे लेकर विपक्षी पार्टी बीजेपी लगातार नीतीश सरकार से सवाल कर रही है.

2. कार्तिक का इस्तीफा

महागठबंधन की सरकार बनने के बाद राजद कोटे के मंत्री कार्तिक कुमार का विभाग बदल दिया गया जिससे नाराज होकर मंत्री ने इस्तीफा दिया. बिहार में 10 अगस्त को महागठबंधन सरकार बनी थी. ठीक 22 दिन बाद नीतीश कुमार की कैबिनेट से पहला इस्तीफा हो गया. यह इस्तीफा गन्ना उद्योग मंत्री कार्तिकेय सिंह का था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गन्ना उद्योग विभाग का अतिरिक्त प्रभार राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता को दिया गया है.

3. सुधाकर का विद्रोह

कार्तिक के त्यागपत्र देने के बाद राजद कोटे से मंत्री सुधाकर सिंह ने विद्रोह कर दिया. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद के बेटे सुधाकर सिंह ने खुल कर नीतीश कुमार की आलोचना की और उनके कृषि रोड मैप पर सवाल खड़े किये. उन्होंने इसको लेकर विभाग में कई पीत पत्र लिखा, जिसके बाद मंत्रिपरिषद की बैठक में उनकी नीतीश कुमार से बहस हो गयी. अंतत: राजद सुप्रीमो के निर्देश पर सुधाकर सिंह ने कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया.

4. रामचरितमानस विवाद

सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद रामचरितमानस को लेकर विवाद खड़ा हो गया. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने पटना में एक दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों का हवाला देते हुए उसे नफ़रत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था. राजद कोटे से शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विवादित बयान को लेकर भाजपा लगातार हमलावर हो गयी. कई दिनों तक यह मामला विवाद में बना रहा. उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बाद अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इस पर बयान देना पड़ा है. उसकी गूंज बिहार की राजनीति में अब तक सुनाई दे रही.

5. शिक्षा विभाग में मंत्री सचिव विवाद

शिक्षा विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव की कुर्सी पर काबिज केके पाठक की शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से नहीं बनी. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने उनके खिलाफ पीत पत्र भेजकर जो विवाद शुरू किया, वह इतना बढ़ा कि सीएम आवास तक जा पहुंचा. लिहाजा नीतीश कुमार ने दोनों लोगों से मुलाकात भी की. वैसे यह पहली बार नहीं कि पाठक को लेकर इतनी राजनीतिक सरगर्मी दिख रही है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और मंत्री चंद्रशेखर के बीच तनातनी इतनी बढ़ गयी कि मंत्री जी ने दफ्तर तक आना बंद कर दिया. फिर 26 दिन बाद शिक्षा मंत्री कार्यालय पहुंचे. अब तक दोनों के संबंध सहज नहीं हुए हैं.

6. भाजपा नेता पर लाठीचार्ज

नियोजित शिक्षकों को बीजेपी का साथ मिला. बीजेपी के नेता शिक्षकों के साथ खड़े हो गये. उनकी समस्याओं को लेकर विधानसभा मार्च किया. इस दौरान पटना में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज भी हुआ. यह मामला भी कई दिनों तक सुर्खियों में छाया रहा.

7. शिक्षकों की नियुक्ति पर फैसला

नियोजित शिक्षकों ने शिक्षक नियुक्ति की मांग और राज्यकर्मी का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर खूब हंगामा हुआ. बिहार सरकार ने करीब चार लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के मामले में सहमति बनाने की ओर एक और कदम बढ़ा दिया है. मुख्यमंत्री आवास पर हुई सभी दलों के प्रतिनिधियों की बैठक में इस पर चर्चा हुई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वह सभी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं. इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होगी.

8. तबादलों को रद्द करने का फैसला

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में शासन प्रशासन में सूचिता बहाल रखने के लिए शिकायत मिलने के बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में 497 अधिकारियों के हुए तबादले को रद्द कर दिया. वही स्वास्थ्य विभाग के भी 500 कर्मचारियों का तबादला रद्द कर दिया गया. इसे लेकर भी कई दिनों तक चर्चा होती रही.

9. जातिगत गणना का काम पूरा

बिहार के पटना में जाति गणना पूरी हो गई है. डाटा इंट्री के लिए जिलावार स्थल निर्धारित किए गए हैं, जहां मोबाइल नेटवर्क, डाटा, तकनीकी एवं सहाय्य कर्मियों की प्रतिनियुक्ति सहित सभी आवश्यक व्यवस्था की गई है. पटना में दूसरे चरण की भी जाति गणना हो काम हो चुका है. जनवरी से शुरू हुई गणना दो चरणों में होनी थी.

10. समाधान यात्रा पर निकले नीतीश

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाधान यात्रा खत्म हो गई है. इस यात्रा को जहां नीतीश ने सफल बताया है. वहीं, बीजेपी ने कहा कि आज की तारीख में वे सबसे बड़ा समस्या हैं. इतना ही नहीं, नीतीश कुमार के सहयोगी सीपीआई माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने भी कहा कि नीतीश को सुशासन बाबू कहा जाता है, लेकिन सुशासन राज में अपराधी कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

11. कुशवाहा और मांझी से किनारा

जदयू संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी और जीतनराम मांझी के दल हम को महागठबंधन से बाहर किया जाना भी पिछले एक वर्ष की महत्वपूर्ण घटना रही है. जेडीयू से इस्तीफा देकर उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक जनता दल नाम से अपनी पार्टी बनाकर नीतीश कुमार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है. दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम ने भी महागठबंधन से बाहर होने के बाद एनडीए का दामन थाम लिया है.

12. विपक्षी एकता के सूत्रधार

विपक्षी दलों को एक सूत्र में बांधने को निकले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ बनी ‘इंडिया’ के सूत्रधार बन कर उभरे हैं. भाजपा के खिलाफ तैयार गठबंधन में शामिल 26 दलों के प्रभाव वाले राज्यों में वोटरों का रुख बदला तो अगले साल 2024 में होेने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को एक मजबूत विकल्प का सामना करना पड़ सकता है.

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