आरा के करनामेपुर में श्रीमद् भागवत यज्ञ का भव्य आयोजन, 18 से 24 फरवरी तक चलेगा अमृत कथा का रसास्वादन

यज्ञ की पूर्णाहूति 24 फरवरी को होगा और 25 फरवरी को भव्य भंडारे का आयोजन किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2022 7:37 PM

आरा. धर्मनगरी करनामेपुर में श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह यज्ञ का भव्य आयोजन 18 से 24 फरवरी तक किया जा रहा है. इस दौरान अयोध्या के श्रीमद् जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर जी महाराज की ओजस्वी ललित एवं रसमयी वाणी से अमृत कथा का रसास्वादन श्रद्धालु करेंगे.

कथा स्थल राधे गोविंद कॉम्प्लेक्स, करनामेपुर, शाहपुर, जिला भोजपुर होगा. यज्ञाचार्य पंडित उमेश उपाध्याय जी होंगे. मुख्य यजमान मां राधिकी देवी, उनके पुत्र बिद्यासागर मिश्र और उनकी धर्मपत्नी आशा मिश्र हैं. प्रसिद्ध समाजसेवी और व्यवसायी बिद्यासागर मिश्र अपने पिता स्व. गोविंद मिश्र की स्मृति और मां राधिका देवी के श्रवण के लिए किया है.

विद्या सागर मिश्र ने बताया कि कथा से पहले माघ शुक्ल पूर्णिमा 16 फरवरी को दिन के 11 बजे विशाल शोभा व कलश यात्रा डीजे की धुन पर निकाली जायेगी. महिलाएं सिर पर कलश लेकर मां गंगा का पवित्र जल भरकर आयोजन स्थल पहुंचेगी. पवित्र शोभा यात्रा में हाथी, घोड़ा, ऊंट की भारी संख्या में रहेंगे. पहले दिन का कार्यक्रम कलश यात्रा, वेदी स्थापना आदि के साथ संपन्न होगा.

दूसरे दिन 17 फरवरी फाल्गुन कृष्ण प्रतिपदा को देवावाहन और पूजन होगा. इसके बाद अयोध्या से पधारे श्रीमद् जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर जी महाराज की ओजवाणी से 18 फरवरी से भागवत कथा का प्रारंभ होगा. कथा प्रतिदिन करनामेपुर के ऱाधे-गोविंद कॉम्प्लेक्स में दोपहर तीन से शाम छह बजे तक होगा. कथा का समापन एवं यज्ञ की पूर्णाहूति 24 फरवरी को होगा और 25 फरवरी को भव्य भंडारे का आयोजन किया गया है.

ब्रह्मपुर में बनवाया हुनमान मंदिर

समाजसेवी विद्यासागर मिश्र ने फरवरी 2019 में पिता स्व. गोविंद मिश्र की स्मृति और मां राधिका देवी की प्रेरणा से बक्सर जिले के ब्रह्मपुर में प्रसिद्ध बाबा बरमेश्वर नाथ मंदिर प्रांगण में संकट मोचन हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया है. उस समय भी चार दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ का आयोजन किया था.

इस दौरान बाबा बरमेश्वर नाथ मंदिर परिसर के मुख्य द्वार का निर्माण भी करवाने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ. वे कहते हैं कि सेवा के लिए सामर्थ्य की नहीं, बल्कि संकल्प की जरूरत होती है. परमात्मा की असीम कृपा है, इसीलिए धार्मिक कार्य करने का मौका मिलता है.

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