पटना. राज्य भर में अब भूजल में लगातार हो रही गिरावट एवं हर घर नल का जल योजना की खराबी को दूर करने में वक्त नहीं लगेगा. इन जगहों की पहचान पीएचइडी के प्रशिक्षित अधिकारी जल्द ही कर लेंगे. पीएचइडी योजना को चार जोन में बांट कर क्रिटिकल जोन की कोडिंग करेगा. इससे यह पहचान हो पायेगी कि नल जल योजना के लाभुकों को किन कारण से पानी नहीं पहुंच रहा है. इसकी माइक्रो रिपोर्ट तैयार होगी.इसको लेकर विभाग सहायक और कनीय अभियंता को प्रशिक्षण दिलायेगा. इसके बाद इन्हें अपने-अपने जोन में भूजल गिरावट की निगरानी और योजना संबंधी कमियों को दूर करने की जिम्मेदारी सौंपी जायेगी.
इन जिलों में हर साल मार्च से अगस्त तक टैंकर से पहुंचाना पड़ता है पानी
पीएचइडी अधिकारियों के मुताबिक हर साल मार्च से अगस्त तक 463 वाटर टैंकर, वाटर एटीएम 15, 19 जलदूत के माध्यम से क्रिटकल वार्डों में पानी पहुंचाया जाता है. 2023 में गया में 49, मुंगेर 10,भागलपुर छह, बांका छह, कैमूर तीन, शेखपुरा दो, लखीसराय तीन, बेगूसराय दो, पश्चिम पंचारण दो, नालंदा एक, जहानाबाद एक, औरंगाबाद में एक टैंकर से लोगों तक पानी पहुंचाया गया है. वहीं, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा जैसे इलाकों के 90 से वार्डों में जल संकट बढ़ा है. इन इलाकों में पिछले दो वर्षों में पानी संकट वार्ड के कुछ-कुछ इलाकों में शुरू हुआ है.
प्रशिक्षण के बाद इन इलाकों में विशेष टीम करेगी भूजल की जांच
कैमूर में चांद ,अमावां, अधैरा, बरवां कलां,बभनी कलां, दिघार, अस्थान.जहानाबाद गोनावां, पश्चिम सरेन. भागलपुर पीरपैंती, सलेमपुर, राम जानीपुर. मुंगेर श्रीमतपुर, शंकरपुर. रोहतास जयंतीपुर. नालंदा सकरी और नवादा में बड़ैल शामिल है. यहां पर जल संरक्षण के लिए विभाग के स्तर पर काम तेज किया गया है, लेकिन इन इलाकों में तकनीकी जांच में पाया गया है कि एक ही वार्ड के कई हिस्से में पानी है, तो कई हिस्से में पानी नहीं है. ऐसे में भूजल की रिपोर्ट बनाने में प्रशिक्षणित अधिकारियों की टीम सहयोग करेगी.
जलापूर्ति योजना के दीर्घकालिक निगरानी के लिए बनाया गया 10 सूत्र
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– योजना क्षेत्र के सभी घर में योजना सही तरीके से पहुंचे. छूटे घरों को जोड़ने का लक्ष्य.
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– नियत समय पर नियमित जलापूर्ति, समय पर शिकायत दूर करने की जबावदेही.
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– सभी घरों को उचित दवाब के साथ जलापूर्ति, प्रेशर कम होने पर विभाग के पोर्टल पर रिपोर्ट देंगे अधिकारी.
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– पंप हाउस पर पंजियों का उपयोग. लाभुकों से फीडबैक और शिकायत का पूरा ब्योरा
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– प्रति माह जल चौपाल की बैठक, रिपोर्ट भेजने या बनाने में कोताही नहीं की जाये.
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– उपभोक्ता शुल्क का नियमित भुगतान, पेयजल के गुणवता की नियमित जांच.
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– उपभोक्ता का त्रैमासिक संतुष्टि सर्वेक्षण किया जायेगा.
बिहार के तीन जिलों में बनेंगे गारलैंड ट्रेंच
बिहार में भूजल संरक्षण और सिंचाई सुविधाओं के विकास के लिए तीन जिलों में गारलैंड ट्रेंच बनाये जायेंगे. इसके लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और आहर-पइन चेकडैम की मरम्मत के लिए लघु जल संसाधन विभाग ने अनुमति दे दी है. साथ ही करीब 50 से अधिक परियोजनाओं पर काम शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है. इन सभी परियोजनाओं का काम जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत किया जायेगा.
नवादा व जमुई में जमा होगा बारिश का पानी
राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने गारलैंड ट्रेंच बनाने के लिए गया जिले में 2.12 करोड़, नवादा जिले में 4.73 करोड़ और जमुई जिले में 4.75 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. वहीं, रोहतास जिले में भू-जल संरक्षण पर करीब 3.74 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है, जिसकी मंजूरी दी गई है. गारलैंड ट्रेंच का निर्माण पठारों के ठीक नीचे उसकी तलहटी में किया जायेगा, जिसमें बारिश का पानी जमा होगा. इससे भूजल स्तर बढ़ेगा और पानी का उपयोग सिंचाई सहित अन्य काम में किया जायेगा.
10 जिलों में आहर-पइन, चेकडैम की मरम्मत
राज्य के 10 जिलों में करीब 300 आहर-पइन, चेकडैम, तालाब, कुआं की मरम्मत की जायेगी. इस पर करीब 200 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है. इन 10 जिलों में पटना, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, मुंगेर, सारण, जहानाबाद, सिवान और गोपालगंज शामिल हैं.