पटना. राज्यभर में बारिश कम होने के कारण 21 जिलों के जल स्तर में 10 फुट तक की गिरावट आयी है. ऐसे में लोगों को कई जगहों पर पानी को लेकर परेशानी बढ़ी है. राज्य में जहानाबाद, गया , औरंगाबाद व अरवल जैसे जिलों के कुछ एक स्थानों पर चापाकल भी पानी छोड़ रहे हैं. ऐसे में पीएचइडी , पंचायती राज विभाग व नगर निगम ने चापाकलों, जलापूर्ति योजनाओं की निगरानी बढ़ी दी है.
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गया – 10 फुट आठ इंच
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जहानाबाद – आठ फुट एक इंच
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कैमूर – छह फुट 11 इंच
पीएचइडी की रिपोर्टके मुताबिक जुलाई में बिहारशरीफ में तीन फुट 11 इंच, हिलसा चार फुट छह इंच, गया 10 फुट आठ इंच, औरंगाबाद पांच फुट चार इंच, जहानाबाद आठ फुट एक इंच, अरवल पांच फुट सात इंच, रोहतास दो फुट नौ इंच, कैमूर छह फुट 11 इंच, मुंगेर एक फुट सात इंच, जमुई एक फुट चार इंच, बेगूसराय तीन फुट दो इंच, दरभंगा एक फुट नौ इंच, पटना पूर्वीदो फुट पांच इंच, पटना पश्चिम चार फुट, बक्सर 11 इंच, छपरा तीन फुट तीन इंच, सीवान एक फुट दो इंच, गोपालगंज एक फुट 10 इंच, मधुबनी एक फुट एक इंच , सहरसा आठ इंच तक गया है.
राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2019 के आंकड़ों को देखें, तो कुछ- एक जिलों में ही जल स्तर नीचे गया है. इस वर्षके आंकड़ों का मिलान 2022 से किया जाये, तो राज्य के गोपालगंज में दो फुट तीन इंच तक जल स्तर नीचे गया है. अन्य जिलों में पानी का स्तर ठीक है, लेकिन 2021 के मुताबिक स्थिति 2022 में काफी खराब है.
इधर, पाटलिपुत्र से सांसद राम कृपाल यादव ने लोकसभा में बिहार में सूखे जैसी स्थिति का मुद्दा उठाया और केंद्र से कहा कि वह राज्य में अनियमित और कम बारिश से होने वाले प्रभाव का आकलन करने के लिए तुरंत एक उच्च स्तरीय टीम भेजे. शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाने वाले यादव ने भी केंद्र से चारे की कमी के कारण किसानों के साथ-साथ मवेशियों को राहत और राहत देने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया.
राज्य में कम बारिश पर ध्यान दिलाते हुए रामकृपाल यादव ने कहा कि 1 जून से 29 जुलाई के बीच सामान्य 485.4 मिमी बारिश के मुकाबले बिहार में केवल 287.2 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 41% कम है. इसके चलते धान की खेती करने वाले 91 फीसदी किसानों को गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है.