बिहार में मद्य निषेध अभियान के तहत की जाने वाली छापेमारियों के लिए मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग मुख्यालय स्तर पर एक अलग वर्क फोर्स तैयार कर रहा है. यह जिलों में उत्पाद अधीक्षकों के नेतृत्व में कार्यरत फोर्स से बिलकुल अलग होगा. इनको पुलिस लाइन की तरह छह अलग – अलग जगहों पर बनाये गये ग्रुप सेंटरों में रखा जायेगा, जहां से जरूरत होने पर इन्हें छापेमारी के लिए भेजा जायेगा. छापेमारी के बाद फिर अपने ग्रुप सेंटर में लौट आयेंगे. विभाग ने ग्रुप सेंटर में पदस्थापित मद्य निषेध सिपाहियों के लिए मानक संचालन (एसओपी) प्रक्रिया जारी की है.
गया और सहरसा में नये ग्रुप सेंटर खोलने की तैयारी
मद्य निषेध, उत्पाद व निबंधन आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने बताया कि वर्तमान में पटना जिले के पालीगंज और कुम्हरार के अलावा मुजफ्फरपुर और भागलपुर सहित चार ग्रुप सेंटर कार्यरत है. इसके साथ ही गया और सहरसा जिले में नया ग्रुप सेंटर खोलने की तैयारी की जा रही है. वर्तमान में कार्यरत ग्रुप सेंटरों में पिछले साल बहाल हुए 359 मद्य निषेध सिपाहियों सहित अन्य लोगों को रखा गया है. जल्द ही 676 नये मद्य निषेध सिपाहियों की बहाली होनी है, जिसके लिए बिहार सिपाही चयन पर्षद के स्तर पर विज्ञापन सहित अन्य प्रक्रिया पूरी की जा रही है.
कमांडेंट होंगे ग्रुप सेंटर के प्रभारी
विभाग के मुताबिक हर ग्रुप सेंटर के प्रभारी कमांडेंट तैनात होंगे. यह पद मद्य निषेध के सहायक आयुक्त या अधीक्षक के समतुल्य होगा. केंद्रीय पुलिस बलों में कार्यरत या सेवानिवृत पदाधिकारियों को इस पद पर बहाली में प्राथमिकता दी जायेगी. केंद्रीय पुलिस बलों के कमांडेंट, उपाधीक्षक या निरीक्षकों को वरीयता के आधार पर ग्रुप सेंटर का कमांडेंट अथवा द्वितीय कमान पदाधिकारी बनाया जा सकता है. कमांडेंट की सहायता के लिए मद्य निषेध के दो अवर निरीक्षक, दो सहायक अवर निरीक्षक और एक निरीक्षक की तैनाती की जायेगी.