कैलाशपति मिश्र
पटना. राज्य की अर्थव्यवस्था प्री-कोविड की स्थिति में आ गयी है. 2021-22 में राज्य की विकास दर 10.98% पर पहुंच गयी है, जबकि 2020-21 में निगेटिव ग्रोथ रहा था. विकास दर के मामले में बिहार, देश में तीसरे नंबर पर है. बिहार से आगे सिर्फ आंध्र प्रदेश और राजस्थान ही है. आंध्र प्रदेश की विकास दर 11.41% और राजस्थान की 11% है. यह खुलासा नेशनल स्टैटिकल ऑफिस (एनएसओ ) के 2021-22 के लिए जारी ताजा आंकड़ों में हुआ है.
स्थिर मूल्य पर राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीप ) 4.28 लाख करोड़ रहेगा. विकास दर में बढ़ोतरी होने से राज्य के लोगों के लिए एक तरफ जहां नौकरी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, वहीं दूसरी तरफ प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी होगी. अभी वर्तमान मूल्य पर राज्य का प्रति व्यक्ति आय 5055 रुपये है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति आय 8665 रुपये है. राज्य की बेरोजगारी दर भी धीरे-धीरे कम होने लगा है. अगस्त में जहां बिहार में बेरोजगारी दर 12.8% थी, वहीं सितंबर में कम होकर 11.4% रह गयी है.
सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस के अर्थशास्त्री प्रो सुधांशु कुमार ने बताया कि विकास दर का सीधा असर राज्य की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है. इस अवधि में राज्य में सभी तरह की गतिविधियां बढ़ी हैं. इसका फायदा आम लोगों को भी मिल रही है. आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी तो नौकरी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. जीएसडीपी में बढ़ोतरी होने से प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ेगी. एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार बिहार की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी हिस्सेदारी सर्विस सेक्टर यानी सेवा क्षेत्र की हो गयी है. इसका योगदान 60 प्रतिशत हो गया है. वहीं, कृषि और मैन्युफैक्चरिंग का योगदान क्रमश: 20-20 फीसदी है.
सेक्टर——- वृद्धि दर
सर्विस ——- 13.3%-
कृषि ——- 10.9%
अर्थव्यवस्था में योगदान
सर्विस——- 60%
कृषि ——- 20%
मैन्युफ्रैक्चरिंग ——- 20%
पड़ोसी राज्य में विकास दर
राज्य विकास दर %
बिहार——-10.98%
झारखंड ——- 8.15 %
ओड़िशा ——- 10.1 %
उत्तर प्रदेश ——- 4.41 %