Tax News: नयी दिल्ली में हुई जीएसटी काउंसिल की 49वीं बैठक में में कर चोरी का मुद्दा प्रमुखता से उठा. इस पर गहन मथंन भी हुआ. बैठक में एक राय बनी कि कर चोरी रोकने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग जायेगा. संभावित क्षेत्रों पर विशेष नजर भी रखी जायेगी. गुटखा,पान मसाला, सरिया और रेडीमेड जैसी वस्तुओं की इ-इनवॉयसिंग, इ-वे बिल,फास्ट टैग व जीपीएस जैसे माध्यमों के जरिये ट्रैकिंग पर जोर दिया गया.
ट्रैकिंग के लिए आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस और बिजनेस इंटेलीजेंस जैसे टूल्स का इस्तेमाल किया जायेगा. करदाताओं का दायरा बढ़ाने के लिए राज्यों को छोटे कारोबारियों को भी जीएसटी के दायरे में लाने को कहा गया है. बिहार में इस दोनों विषयों पर पहले से काम चल रहा है.एक आकलन के अनुसार बिहार में सालाना 100 करोड़ के करीब की कर चोरी का अनुमान है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा बढ़ कर 10 हजार करोड़ से अधिक का हो जाता है.
जीएसटी के तहत 20 लाख तक कारोबार करने वालों को पंजीयन से छूट दी गयी है, लेकिन इस राशि से कम का कारोबार करने वाले ऐसे लोग जो राज्य के बाहर या तो वस्तु भेजते हैं, या मंगाते हैं, उन्हें अनिवार्य रूप से पंजीयन करवाना होगा. ऐसे व्यवसायियों को जीएसटी के दायरे में लाने का प्रयास किया जा रहा है.
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वाणिज्य कर विभाग की विशेष टीम को कोचिंग, विवाह भवन और व्यायामशाला पर छापेमारी के दौरान बड़ा ही हैरतअंगेज देखने को मिला कि इस सेक्टर के जो कारोबारी पहले जीएसटी के तहत पंजीकृत थे, वे अपना पंजीयन रद्द करवा कर कारोबार जारी रखे हुए थे. उनकी कर देयता भी बनती थी. विभाग ने ऐसे कारोबारी को दोबार पंजीयन लेने के लिए कहा और नहीं लेने पर कार्रवाई करने का नोटिस दिया है. सर्वे के दौरान विभाग को ऐसे कई कारोबारी मिले, जो बिना जीएसटी पंजीयन के व्यापार कर रहे है.
Posted By: Thakur Shaktilochan