पटना. वाणिज्य कर विभाग कोचिंग संस्थानों को कर(TAX) नेट में लाने के लिए कई स्तर पर प्रयास कर रहा है. कोचिंग संस्थानों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में पंजीयन करवाने का आग्रह भी कर रहा है. 20 लाख से अधिक सालाना टर्न ओवर वाले कोचिंग संस्थानों के लिए जीएसटी के तहत पंजीयन करवाने को अब अनिवार्य कर दिया गया है. इस दायरे में आने वाले कोचिंग संस्थानों द्वारा पंजीयन नहीं करवाने पर विभागीय कार्रवाई की जाने के साथ पैनेल्टी भी लगाया जाएगा. कोचिंग संस्थानों का पता लगाने के लिए विभाग सर्वे और निरीक्षण अभियान चला रहा है. पिछले महीने नवंबर में विभाग ने दर्जनों कोचिंग संस्थानों को अपने रडार पर लिया है.
वाणिज्य कर विभाग कोचिंग के विरुद्ध क्यों चला रहा है अभियान
बिहार में तकरीबन नौ हजार से अधिक कोचिंग संस्थान चल रहे हैं. इन कोचिंग संस्थानों की मासिक कमाई लाखों में है, लेकिन जीएसटी देने वाले कोचिंग संस्थानों की संख्या काफी कम है. एक आकलन के अनुसार औसत कोचिंग संस्थान में एक बार में सात-आठ हजार छात्रों के नामाकंन होते हैं. अगर प्रत्येक छात्र चुने गये विषयों में संख्या के आधार पर 500-1000 रुपये भी भुगतान करता है, तो कोचिंग संस्थान फीस के रूप में प्रतिमाह 35-80 लाख रुपये के बीच संग्रह करते हैं.
नहीं दाखिल कर रहे हैं रिटर्न
दरअसल, जीएसटी प्रावधान के अनुसार लगातार छह महीन तक मंथली रिटर्न नहीं दाखिल करने वाले संस्थान को निबंधन रद्द कर दिया जाता है, लेकिन कोचिंग संस्थान एक बार निबंधन रद्द होने के बाद दोबारा निबंधन नहीं करवाते हैं. वाणिज्य कर विभाग द्वारा जांच के क्रम में विभाग को पता चला कि अधिकतर कोचिंग संस्थानों द्वारा लगातार छह महीन तक मंथली रिटर्न नहीं दाखिल किया गया था. कुछ संस्थान ऐसे भी थे, जिन्होंने स्वेच्छा से अपने जीएसटी निबंधन को रद्द करने का आवेदन दिया था. निरीक्षण के क्रम में इन संस्थानों के विभिन्न केंद्रों पर बड़ी संख्या में छात्र मिले, जिन्हें विभिन्न कोर्स की कोचिंग दी जा रही थी. छात्रों से हजारों रुपयों की फीस लिये जाने के साक्ष्य भी मिले हैं.