पटना. राज्य सरकार ने रबी और खरीफ मौसमों में गेहूं, धान व चावल की खरीद के लिए 10 हजार करोड़ की गारंटी प्रदान की है. खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम को बैंक से ऋण प्राप्त करने के लिए जबकि सहकारिता विभाग को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम या नाबार्ड और अन्य वित्तीय संस्थानों से ऋण के लिए राजकीय गारंटी के रूप में दी गयी है. मंगलवार को कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर सहमति की मुहर लगी दी. यह गारंटी कमर्शियल बैंकों, नाबार्ड जैसे संस्थानों से कर्ज लेने पर मिलेगी. इस राशि से विकेंद्रीकृत व्यवस्था के तहत बिहार के किसानों से वित्तीय वर्ष 2023-24 में रबी और खरीफ मौसमों में गेहूं, धान व चावल की खरीद जी जायेगी.
बिहार में कुल 1, 9159081 पंजीकृत किसान हैं. इनसे इस साल रबी मौसम में गेहूं खरीद का लक्ष्य 10 लाख मीट्रिक टन रखा गया है. 20 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू की गयी है. 31 मई तक गेहूं की खरीद होनी है. इस साल 2125 रुपये गेहूं का समर्थन मूल्य रखा गया है. संग्रहण केंद्रों पर सात जून तक गेहूं जमा करने की तिथि निर्धारित की गयी है.
राज्य में पैक्सों और व्यापार मंडलों के माध्यम से से सरकार ने 45 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है. निर्धारित समय-सीमा अंतर्गत 7.210 समितियों द्वारा 5.77 लाख किसानों से 42.04 लाख एम. टी. (93.44 प्रतिशत) धान की अधिप्राप्ति की गयी.जिसमें से रेयत 2.40 लाख किसानों से 20.34 लाख एम.टी. तथा गैर-रेयत (लघु एवं सीमांत) 3.37 लाख किसानों से 21.70 लाख एम.टी. धान की अधिप्राप्ति की गई है़ किसानों को 8.577 करोड़ रूपए का भुगतान न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में किया जा चुका है़
वित्तीय वर्ष 2023-24 में दस लाख टन गेहूं की आर्थिक लागत 24670 रुपये प्रति टन है. इस लिहाज से गेहूं खरीद में भुगतान के लिए 2467 करोड़ का कर्ज जरूरी हो गया है. इसी तरह गल खरीफ विपणन मौसम 2023-24 में 30 लाख टन की खरीद 10813 करोड़ रुपये की अनुमानित आवश्यकता है. इस तरह बिहार राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम को कुल 13280 करोड़ रुपये की अनुमानित आवश्यकता है. लिहाजा सरकार दस हजार करोड़ रुपये की क्रियाशील पूंजी विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से करायेगा. इस तरह आंतरिकि प्रतिपूर्ति की जायेगी.
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खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने इस आशय का संकल्प मंगलवार को जारी कर दिया है. इससे पहले कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी है. राजकीय गारंटी वित्तीय वर्ष 2018-19 से दी जा रही है. इस वित्तीय वर्ष में 2500 करोड़, 2019-20 में 4500 करोड़, 2020-21 में 6 हजार करोड़, 2021-22 और 2022-23 में दस-दस हजार करोड़ राजकीय गारंटी दी गयी है. संकल्प विभाग के सचिव विनय कुमार ने जारी किया है.