आम,केला और निम्बू के बाद चौथे स्थान पर होती है अमरुद की खेती, जानिए क्या हैं इसके फायदे

अमरुद की खेती फल के रूप में की जाती है.अमेरिका और वेस्ट इंडीज़ के उष्ण कटिबंधीय भाग अमरुद की उत्पत्ति के लिए जाने जाते है.वर्तमान समय में भारत की जलवायु में यह इतना घुल मिल गया है कि इसकी खेती यहाँ अत्यंत सफलतापूर्वक की जाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 28, 2022 1:13 PM

अमरुद की खेती फल के रूप में की जाती है.अमेरिका और वेस्ट इंडीज़ के उष्ण कटिबंधीय भाग अमरुद की उत्पत्ति के लिए जाने जाते है.वर्तमान समय में भारत की जलवायु में यह इतना घुल मिल गया है कि इसकी खेती यहाँ अत्यंत सफलतापूर्वक की जाती है. ऐसा माना जाता है की भारत में अमरुद की खेती का आरम्भ 17वी शताब्दी में हुआ था.लेकिन आज के समय में अमरुद की फसल को आम,केला और निम्बू के बाद चौथे स्थान पर सबसे ज्यादा उगाई जा रही है.

अमरुद में कई औषधीय गुण पाये जाते हैं.

जाड़े की ऋतु में यह बहुत अधिक और सस्ता मिलता है. जिसके वजह से लोग इसे गरीबों का सेब कहते हैं. यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक फल है.भारत की जलवायु में उगाये गए अमरूदों की मांग विदेशो में बढ़ती ही जा रही है.विदेशो में बढ़ती मांग के वजह से इसकी खेती व्यापारिक रूप से भी की जा रही है.अमरुद में कई औषधीय गुण भी होते है.अमरुद में विटामिन ए,बी और सी की मात्रा अधिक पाई जाती है.इसमें कैल्शियम,आयरन और फास्फोरस भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है .अमरुद से जूस,जैम और जेली बनायी जाती है.

अमरुद के पत्ते भी होते हैं गुणकारी 

भारत में अमरुद की फसल बिहार,आंध्र प्रदेश,पंजाब,उत्तर प्रदेश और बंगाल जैसे राज्यों में अधिक मात्रा में जाती है .किसान अमरुद की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं.अमरुद का इस्तेमाल दांतो से सम्बंधित रोगों को दूर करने में किया जाता है.और अमरुद की पत्तियों को चबाने से दांत में कीड़ा लगने खतरा कम होता है.अमरुद हिमोग्लोबीन की कमी को दूर करता है.आहार विशेषज्ञों के अनुसार अमरुद रक्त में शुगर की मात्रा कम करता है. इसमें पाया जाने वाला लाइकोपीन तत्व त्वचा में निखार लाता है.यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. जिससे दिल सबंधी बीमारी होने की संभावना कम होती है.

खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त

अमरुद की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है.इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है .इसकी खेती सबसे अधिक शुष्क और अर्ध शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में की जाती है .अमरुद के पौधे सर्द और गर्म दोनों ही जलवायु को आसानी से सहन कर लेते है.अमरुद के पेड़ पौध रोपाई के दो से तीन वर्ष बाद फलों की तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है.एक पूर्ण विकसित अमरूद के पौधे से प्रतिवर्ष 400 से 600 फल तक प्राप्त होते हैं.जिनका वजन 125 से 150 किलो ग्राम होता है.

इलाहाबादी सफेदा बागवानी के लिए सबसे उत्तम

अमरुद की उन्नत किस्में जो बागवानी के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं वे इस प्रकार हैं. इलाहाबादी सफेदा,सरदार 49 लखनऊ,सेबनुमा अमरूद,इलाहाबादी सुरखा और बेहट कोकोनट आदि हैं. इसके अतिरिक्त चित्तीदार,रेड फ्लेस्ड,ढोलका,नासिक धारदार,आर्क मृदुला पंत प्रभात और ललित अमरूद आदि किस्में हैं. इलाहाबादी सफेदा बागवानी के लिए सबसे उत्तम है.

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