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छठ पर बिहार आने वाली ट्रेनों की स्थिति भयावह, कोच के शौचालय तक में यात्रा कर रहे लोग…कौन जिम्मेदार…?

Indian Railways: छठ पर हर बिहारवासी घर वापस आना चाहता है. ऐसा प्रतित होता है कि हर बिहारी मजदूर हो. चाहे वो दिल्ली-मुंबई में दस लाख रुपये कमाने वाला खास हो या फिर पांच से दस हजार रुपये कमाने वाला दिहाड़ी. जड़ में मजदूरी ही है.

Indian Railways: दीपावली और लोक आस्था का महापर्व छठ पर बिहार आने वाले यात्रियों की भीड़ ट्रेनों में अचानक बढ़ गयी है. बिहार से बाहर रहने वाले लोग किसी भी हाल में अपना घर पहुंचना चाह रहे हैं. दिल्ली, गुजरात, मुंबई, पंजाब यहां तक की बंगाल से आने वाली लगभग सभी ट्रेनों में सीट फुल है. इन सब के बीच सूरत के उधना स्टेशन से जो तस्वीरें सामने आयी है. वह कोरोना काल के दिनों की याद दिला रही है.तस्वीर में देखा जा सकता है कि बिहार के लिए रवाना होने वाली अंत्योदय अनारक्षित और ताप्ती गंगा सुपरफास्ट ट्रेन में चढ़ने के लिए मारामारी कर रहे हैं.

पेनाल्टी देकर भी घर आ रहे लोग

दीपावली और छठ महापर्व को लेकर गुजरात, दिल्ली, पंजाब समेत अन्य राज्यों से प्रवासी बिहारवासी टिकट नहीं मिलने की स्थिति में अधिक पेनाल्टी देकर भी घर आ रहे हैं. दिल्ली से आने वाले यात्री 1000 रुपये तक व पंजाब की ओर से आने वाले 900 से लेकर 1200 रुपये तक फाइन देकर पटना, भागलपुर, गया जंक्शन तक की यात्रा कर रहे हैं.

शौचालय तक में यात्रा कर रहे लोग

बता दें कि यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रेलवे कई पूजा स्पेशल ट्रेन चला रही है. लेकिन इन स्पेशल ट्रेनों में भी टिकट नहीं मिल रही है. कई ट्रेनों में तो नो रूम तक की स्थिति है. ऐसे में बिहार आने वाले यात्री वेटिंग टिकट के अलावा बिना टिकट के भी यात्री कर रहे हैं. हालात ये हैं कि जनरल बोगी में पैर रखने तक की जगह नहीं हैं. रेल यात्री कोच के अलावे शौचालय तक में यात्रा करने को विवश हैं.

रेल यात्रियों में रोष का माहौल

बिहार आने वाली एक दो ट्रेन नहीं बल्कि पूजा स्पेशल ट्रेनों की भी कमोबेश यही स्थिति है. कई बोगियों मे पानी भी खत्म हो गई. अंत्योदय अनारक्षित और ताप्ती गंगा सुपरफास्ट से जो तस्वीरें सामने आयी है. उसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि बोगी मे पैर रखने की भी जगह नहीं है. रेल यात्रियों का कहना है कि छठ पूजा को लेकर वे लोग घर जा रहे है. वे किसी भी तरह पूजा में घर जाना चाहते हैं.

ऐसी स्थिति सोचने पर करती है विवश

गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब अन्य प्रदेशों से छठ-दिवाली पर बिहार जाने वाली ट्रेनों की ऐसी तस्वीरें सामने आयी हो. सोशल मीडिया पर आपको ऐसे कई वीडियो मिल जाएंगे. छठ पर हर बिहार वासी घर वापस आना चाहता है. ऐसा प्रतित होता है कि हर बिहारी मजदूर हो. चाहे वो दिल्ली-मुंबई में दस लाख रुपये कमाने वाला खास हो या फिर पांच से दस हजार रुपये कमाने वाला दिहाड़ी क्यों नहीं हो. जड़ में मजदूरी ही है.

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