Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह बोले- ‘काशी और मथुरा हमारी पहचान’
Gyanvapi Masjid : ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को हिंदू पक्ष के हक में अपना फैसला सुनाया. मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj singh) और अश्विनी चौबे (ashwani chaubey) ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.
पटना: वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए हिंदू याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया है. अब इस मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे का बयान सामने आया है. बेगूसराय से सांसद गिरिराज ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. हम ज्ञानवापी का भी सम्मान करते हैं. अगली सुनवाई में भी हमें कानून पर भरोसा है. हम कानून का सम्मान करते हैं और कानून के साथ हैं. गिरिराज सिंह ने सभी पक्षों से शांति की अपील की है.
काशी और मथुरा भारत की संस्कृति और पहचान: गिरिराज
ज्ञानवापी मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि जब कोर्ट में मामला हो तब किसकी को अधिकार नहीं बोलने का. जब अखंड भारत था, उस समय से ही काशी और मथुरा भारत की संस्कृति और पहचान है. इसको मैं नहीं भुला सकता. उन्होंने कोर्ट का फैसले का स्वागत करते हुए लोगों से शांति-व्यवस्था कायम रखने की अपील की.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने भी फैसले का स्वागत किया
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि हम किसी के विरोध में नहीं है. हिंदू-मुस्लिम लोग भाई-भाई हैं. कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है. केंद्रीय मंत्री ने एक ट्वीट भी किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि ‘कंकर-कंकर में शंकर, मैं काशी हूं, मैं काशी हूं. हर-हर महादेव’.
क्या है ज्ञानवापी मामला ?
बता दें कि पांच हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद हिंदू देवी-देवताओं की पूजा की अनुमति मांगी थी. इन महिलाओं ने खासतौर पर श्रृंगार गौरी की हर दिन पूजा करने की इजाजत चाही थी. कोर्ट के आदेश पर मस्जिद में सर्वे भी किया गया था. सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के तहखाने में शिवलिंग मौजूद है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था.
किसका क्या है दावा?
बता दें कि हिन्दू पक्ष का दावा है कि 16वीं षगताब्दी में मुग़ल शासक औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई है. जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वहां पहले से ही मस्जिद थी, मंदिर नहीं तोड़ी गई. 7 रूल 11 के तहत हुई बहस में भी दोनों पक्षों की तरफ से कई दावे पेश किए गए. हिंदू पक्ष का कहना है कि इस मामले में वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता. मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद वर्शिप एक्ट के तहत संरक्षित है.
क्या है वर्शिप एक्ट?
कानून के जानकारों की मानें तो 1991 के तहत वर्शिप एक्ट वह है, जिसके तहत नरसिम्हा राव की सरकार में यह निर्धारित किया गया था कि 1947 से पहले बने देश के सभी धरोहरों को उसकी यथास्थिति में संरक्षित किया जाएगा. उसमें किसी भी तरीके का परिवर्तन नहीं होगा.