दोपहर 1.40 बजे से शाम 6.25 बजे तक शुभ मुहूर्त
भाई-बहनों के त्योहार रक्षाबंधन को लेकर हर तरफ उमंग और उल्लास का वातावरण बना हुआ है. यह त्योहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार पूर्णिमा तिथि रविवार की आधी रात के बाद 3.04 बजे से शुरू होकर सोमवार की रात 12.28 बजे तक रहेगी
संवाददाता, हाजीपुर भाई-बहनों के त्योहार रक्षाबंधन को लेकर हर तरफ उमंग और उल्लास का वातावरण बना हुआ है. यह त्योहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार पूर्णिमा तिथि रविवार की आधी रात के बाद 3.04 बजे से शुरू होकर सोमवार की रात 12.28 बजे तक रहेगी. पूर्णिमा तिथि के शुरू होने के साथ भद्रा की शुरुआत हो जायेगी. सूर्योदय से लेकर दोपहर 1.30 बजे तक भद्रा काल होने के कारण इस अवधि में रक्षाबंधन नहीं मनाया जायेगा. भद्रा समाप्त होने के बाद शुभ चौघड़िया मुहूर्त में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकेंगी. पर्व की तैयारी में रविवार को शहर का हर बाजार ग्राहकों की भीड़ से गुलजार रहा. रक्षाबंधन को लेकर पिछले कई दिनों से बाजारों में रंग-बिरंगी राखियों की दुकानें सजी हैं. रविवार को शहर के राजेंद्र चौक, गुदरी बाजार, कचहरी रोड, थाना चौक, गांधी चौक, सिनेमा रोड, स्टेशन रोड, रामअशीष चौक, पासवान चौक, जढुआ समेत अन्य स्थानों पर राखी खरीदती महिलाओं और बच्चियों की भीड़ देखी गयी. साथ-साथ मिठाई की दुकानों पर भी ग्राहकों की लाइन लगी रही. रक्षाबंधन का त्योहार भाई का बहन के प्रति प्यार का प्रतीक है. रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती हैं और उन्हें तिलक लगा अपनी रक्षा का संकल्प लेती हैं. रक्षाबंधन का यह त्योहार अब भाई-बहनों के दायरे से निकलकर देश और पर्यावरण की रक्षा से जुड़ गया है. राखी के महत्व के अनेक प्रसंग मिलते हैं, जिनमें मेवाड़ की महारानी कर्मावती के हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा याचना का किस्सा भी शामिल है. हुमायूं ने राखी की लाज रखी थी. रक्षाबंधन के दिन सावन की अंतिम सोमवारी भी पड़ रही है. इसके चलते इस दिन का महत्व और बढ़ गया है. आचार्य आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि सोमवार को भद्रा काल समाप्त होने के बाद दोपहर 1.40 बजे से शाम 6.25 बजे तक रक्षाबंधन का त्योहार मनाना श्रेष्ठ एवं शुभ फलदायक होगा. इस दिन शाम 6.56 बजे से रात 9.07 बजे तक प्रदोष काल रहेगा. प्रदोष काल में भी बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं. रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधने की परंपरा रही है. इस साल करीब 90 साल बाद रक्षाबंधन पर पांच शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. इसमें रवि, सौभाग्य, सर्वार्थ सिद्धि और शोभन श्रवण नक्षत्र के साथ ही इस दिन त्रिग्रही योग, बुधादित्य योग, शश राजयोग और शुक्रादित्य राजयोग बन रहे हैं, जो विशेष फलदायक हैं.
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