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क्विज में आदित्य को प्रथम स्थान, निबंध में स्नेहा अव्वल

राज नारायण कॉलेज, हाजीपुर में भारत के पहले सफल चंद्रमा मिशन की पहली वर्षगांठ व भारतीय अंतरिक्ष दिवस पर प्रश्नोत्तरी, निबंध प्रतियोगिता और पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन प्रतियोगिता के रूप में सप्ताह भर चलने वाली विभिन्न सह पाठ्यक्रम गतिविधियों हुईं

हाजीपुर. राज नारायण कॉलेज, हाजीपुर में भारत के पहले सफल चंद्रमा मिशन की पहली वर्षगांठ व भारतीय अंतरिक्ष दिवस पर प्रश्नोत्तरी, निबंध प्रतियोगिता और पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन प्रतियोगिता के रूप में सप्ताह भर चलने वाली विभिन्न सह पाठ्यक्रम गतिविधियों हुईं. यूजीसी के निर्देश पर आयोजित इस छह दिवसीय समारोह की शुरुआत क्विज के साथ 23 अगस्त को हुई. पिछले साल इसी दिन चंद्रयान-तीन ने सॉफ्ट-लैंडिंग की थी. क्विज, लेख, पोस्टर तथा पीपीटी प्रेजेंटेशन प्रतियोगिता के विषय अंतरिक्ष अनुसंधान के विभिन्न चरण, अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत का विश्व में स्थान, प्राचीन भारतीय चिंतकों और भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के योगदान से संबंधित थे. क्विज में जंतु विज्ञान विभाग के आदित्य जयसवाल, भौतिकी विभाग की अंशिका कुमारी तथा शिवम कुमार को प्रथम द्वितीय और तृतीय स्थान मिनस. निबंध प्रतियोगिता में भौतिकी विभाग की स्नेहा कुमारी, जंतु विज्ञान विभाग के आदित्य जायसवाल और गीतांजलि कुमारी ने प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया. पीपीटी प्रेजेंटेशन में फिजिक्स विभाग के शिवम कुमार, जूलॉजी विभाग के आदित्य जायसवाल, फिजिक्स विभाग की स्नेहा कुमारी और जूलॉजी विभाग की इशानी कुमारी के पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन को क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ घोषित किया गया. समापन सत्र में मुख्य वक्ता आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी, पटना के पूर्व रजिस्ट्रार और वर्तमान में साइंस कॉलेज, पटना में भौतिकी विभाग के प्रमुख डॉ शंकर कुमार ने भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की. पीपीटी का उपयोग करते हुए उन्होंने सभी भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के योगदान के बारे में बताया. विशेष रूप से उन्होंने विक्रम साराभाई, डॉ के राधाकृष्णन, डॉ जीएम नायर, प्रोफेसर सतीश धवन, डॉ के कस्तूरीरंगन, प्रोफेसर यूआर राव, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिकों के समर्पण और प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला. डॉ शंकर ने कहा कि यह उनकी देशभक्ति ही थी, जिसके कारण इन अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने विदेशी विश्वविद्यालयों की आकर्षक नौकरियों की पेशकश स्वीकार नहीं की. डॉ शंकर ने पीएसएलवी और जीएसएलवी जैसे लांच व्हीकल्स और रोव-लैंडर की जटिल संरचना तथा चंद्रमा के प्रक्षेप-पथ को निर्धारित करने में सूक्ष्म गणितीय गणना के बारे में भी विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष अनुसंधान द्वारा कृषि और व्यापार में वृद्धि और इससे आम जीवन में खुशहाली आयेगी. प्रारंभ में भौतिकी विभागाध्यक्ष डाॅ किरण कुमारी, रसायनशास्त्र विभागाध्यक्ष सह-समन्वयक डाॅ विजय कुमार तथा बाॅटनी विभागाध्यक्ष डाॅ रोजलीन सोरेन ने अंतरिक्ष अनुसंधान और चंद्रयान मिशन के विभिन्न पहलुओं के विषय में छात्रों को जानकारी दी. अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डाॅ रवि कुमार सिन्हा ने कहा कि प्राचीन भारत में खगोलविदों ने बिना किसी आधुनिक उपकरण के पूरे ब्रह्मांड की मैपिंग की. चंद्र और सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी के लिए इनकी सूक्ष्म संगणना आज भी सटीक है. आज भी इसका उपयोग हो रहा है. अंतरिक्ष अनुसंधान में विश्व-दौड़ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि चीन ने चंद्रमा की सतह से दुर्लभ खनिजों की माइनिंग में सफलता हासिल की है और यह दर्शाता है कि अंतरिक्ष अनुसंधान के आधार पर ही भविष्य में विश्व महाशक्ति का फैसला होगा. सत्र का संचालन डाॅ विजय कुमार तथा धन्यवाद ज्ञापन डाॅ रोजलीन सोरेन ने किया.

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