Bangladesh Crisis: हाजीपुर. बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बची फैली हिंसा में जंदाहा प्रखंड के अरनियां गांव निवासी स्वर्गीय किशुनी सिंह का 35 वर्षीय पुत्र अजय कुमार फंस गया है. अजय की मां सरिता देवी ने बताया कि अजय से बात हुई थी, उसने खुद को सुरक्षित बताया था. अजय की मां ने भारत सरकार से अपने पुत्र को सकुशल भारत लाने की मांग की है. कॉन्फ्रेंस कॉल पर बात करने के दौरान अजय ने बताया कि पिछले पांच अगस्त को अचानक हालात अधिक खराब हो गये. इसके बाद उन सभी को कंपनी के गेस्ट हाउस से कंपनी के अंदर शिफ्ट कर दिया गया था.
स्टील कंपनी में काम करता है अजय
अजय के अनुसार, वह बंगलादेश की सबसे नामी स्टील कंपनी में काम करता है. अजय ने बताया कि मेरे अलावा गोपालगंज, उत्तर प्रदेश और ओडिशा के रहनेवाले लोग फंसे हैं. परिजनों का कहना है कि अब वहां हालात सुधर रहे हैं. सरिता देवी ने कहा कि उनके बेटे ने बताया है कि पिछले तीन दिनों से सभी लोग कंपनी के सुरक्षागार्ड की निगरानी में थे. गुरुवार को बरियार हाट में स्थिति सामान्य है. वाहनों का आवागमन हो रहा है. यहां काम करने वाले सभी भारतीयों को वापस कंपनी के गेस्ट हाउस में शिफ्ट कर दिया गया है, लेकिन लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. सभी ने बांग्लादेश में भारतीय दूतावास से भी संपर्क किया है.
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बांग्लादेश में फंसे बिहार के 500 लोगों की घर वापसी
तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में फंसे बिहारी मूल के अधिकतर लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. बांग्लादेश के विभिन्न शहरों में बिहारी मूल के 500 से अधिक लोग रह रहे थे. पढ़ाई करने के अलावा व्यवसाय से जुड़े बिहारी मूल के सभी लोगों को सुरक्षित देश वापस ले आया गया है. अब बांग्लादेश में केवल उच्चायोग में कार्यरत लगभग तीन सौ अधिकारी और कर्मचारी ही रह गए हैं. बांग्लादेश में अचानक से उत्पन्न स्थिति के बाद बिहारी मूल के अधिकारियों ने वहां मोर्चा संभाल लिया. बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा मूल रूप से बिहार के ही हैं. उनके साथ बिहारी मूल के कई अधिकारी भी उच्चायोग में काम कर रहे है.