हाजीपुर में आये दिन अपने कारनामे की वजह से सुर्खियां बटोरने वाला सदर अस्पताल एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस बार यहां के स्वास्थ्यकर्मियों ने जो कारनामा किया है. उसे सुन कर लोग न सिर्फ आश्चर्य जता रहे हैं. बल्कि यहां की व्यवस्था पर भी सवालिया निशान उठने लगे हैं. इस बार यहां के स्वास्थ्यकर्मियों ने नवजात शिशु चिकित्सा इकाई में भर्ती कराये गये एक बच्चे का जेंडर ही चेंज कर डाला.
14 अप्रैल को जब एसएनसीयू में बच्चे को भर्ती कराया गया था. उस वक्त वह बालक था. वहीं रविवार को स्वास्थ्य कर्मियों ने परिजनों को एक बच्ची का शव यह कह कर सौंप दिया कि इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गयी है. इसके बाद परिजनों ने बच्चा बदलने का आरोप लगा कर हंगामा शुरू कर दिया. इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन भी सकते में है. सिविल सर्जन के निर्देश पर मामले की जांच भी शुरू हो गयी है.
सदर अस्पताल कैंपस में चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है. एसएनसीयू में भी सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जाती है. चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरा लगे रहने के बावजूद अगर बच्चा बदल जाता है या फिर गायब हो जाता है. तो यह अस्पताल प्रशासन की न सिर्फ बड़ी चूक, बल्कि यहां की सुरक्षा व्यवस्था में एक बड़े झोल को भी दर्शाता है. फिलहाल सिविल सर्जन डॉ अखिलेश मोहन सिन्हा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच शुरू कर दी है, लेकिन अस्पताल प्रशासन पर सवाल खड़े हो गये हैं.
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राजापाकर थाना के बाकरपुर चकसिकंदर निवासी मो मुर्तुजा की पत्नी जरक्षा खातुन को प्रसव पीड़ा होने पर बीते 14 अप्रैल को परिजन डिलिवरी के लिए सदर अस्पताल लेकर आ रहे थे. रास्ते में ही प्रसव होने के बाद परिजन सदर अस्पताल पहुंचे थे और जच्चे-बच्चे का इलाज कराया था. डॉक्टर की सलाह पर नवजात बच्चे को नवजात शिशु चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया गया था.
परिजनों का आरोप है कि जरक्षा ने पुत्र को जन्म दिया था और रविवार को स्वास्थ्यकर्मी उन्हें एक मृत बच्ची का शव सौंप रहे हैं. परिजनों के इस आरोप की पुष्टि एसएनसीयू का रजिस्टर व बच्चे की भर्ती के बाद परिजनों को मिलने वाला स्लिप भी कर रहा है. रजिस्टर पर 14 अप्रैल को क्रमांक 148 में जरक्षा खातुन का नाम दर्ज है और बच्चे का जेंडर पुरुष दर्ज है. वहीं परिजनों को 3587/3119 नंबर से 12 अप्रैल को स्लिप दिया गया था. उस पर भी बच्चे का जेंडर पुरुष ही दर्ज है.
Published By: Anand Shekhar