पीपा पुल के ड्रम से टकरायी नाव, बचे सौ यात्री
वैशाली जिले के राघोपुर में गुरुवार की सुबह एक बड़ा नाव हादसा टल गया. कच्ची दरगाह से राघोपुर के रुस्तमपुर घाट के लिए खुली नाव गंगा नदी की तेज धारा की वजह से अनियंत्रित होकर पीपा पुल के ड्रम से टकरा गयी. नाव पर करीब सौ यात्री सवार थे.
वैशाली जिले के राघोपुर में गुरुवार की सुबह एक बड़ा नाव हादसा टल गया. कच्ची दरगाह से राघोपुर के रुस्तमपुर घाट के लिए खुली नाव गंगा नदी की तेज धारा की वजह से अनियंत्रित होकर पीपा पुल के ड्रम से टकरा गयी. नाव पर करीब सौ यात्री सवार थे. इनमें बड़ी संख्या में राघोपुर में पोस्टेड शिक्षक भी थे. कई यात्रियों को वहां पर खड़े लोगों की मदद से पीपा पुल के सहारे नाव से उतारा गया. वहीं, रुस्तमपुर घाट से पहुंची दूसरी नाव से सभी यात्रियों को गंगा नदी पार कराया गया. इस दौरान करीब आधा घंटा वहां अफरातफरी मची रही. जानकारी के अनुसार गुरुवार की सुबह करीब साढ़े नौ बजे लगभग सौ यात्रियों को लेकर एक नाव कच्ची दरगाह से राघोपुर के रुस्तमपुर के लिए खुली थी. कच्ची दरगाह से आगे बढ़ते ही गंगा नदी की तेज धारा की वजह से नाव पीपा पुल के ड्रम से टकरा गयी. इसके बाद वहां अफरातफरी मच गयी. नाव पर सवार लोग चीखने-चिल्लाने लगे. नाव पर सवार कुछ लोगों ने हिम्मत से काम लिया और नाव को पीपा पुल में सटा कर कुछ सवारी को सुरक्षित उतार दिया. इस दौरान लोग जान जोखिम में डाल कर नाव से पीपा पुल के ड्रम के माध्यम से पीपा पुल पर चढ़े. आनन-फानन में रुस्तमपुर घाट से दूसरी नाव मंगायी गयी और सभी यात्रियों को सुरक्षित नदी पार कराया गया. नाव पर सवार शिक्षक उमेश कुमार ने बताया कि कच्ची दरगाह से राघोपुर के लिए नाव खुली ही थी कि नाव पीपा पुल के ड्रम से टकरा गयी. इसके बाद सभी लोग काफी घबरा गये. नाव पर सवार अधिकतर सरकारी शिक्षक थे. कुछ शिक्षक को ऑनलाइन एप के माध्यम से अटेंडेंस बनाने की जल्दबाजी थी, इसलिए वे पीपा पुल के ड्रम के माध्यम से जान जोखिम में डाल कर उतर गये. वहीं कुछ शिक्षक दूसरी नाव आने पर उससे नदी पार किया. उन्होंने कहा कि इस घटना की जानकारी प्रखंड के वरीय अधिकारी को देंगे. साथ ही जिला प्रशासन से सरकारी शिक्षक के लिए अलग से राघोपुर के सभी घाटों पर नाव की व्यवस्था करने की मांग की. कहा कि सरकारी शिक्षक को समय से स्कूल पहुंचना रहता है, इसके लिए जिला प्रशासन को सभी घाटों पर नाव की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि सरकारी शिक्षक समय से विद्यालय पहुंच कर विद्यालय का संचालन कर सकें.
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