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जिले में दो हजार हेक्टेयर में हो रही मोटे अनाज की खेती

किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ बीज भी दे रही सरकार, मोटे अनाज की खेती से खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के साथ-साथ विविधतापूर्ण खेती को मिलेगा बढ़ावा

हाजीपुर. पारंपरिक फसलों की खेती में रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से घट रही रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकार अब मोटे अनाज की खेती के लिए बढ़ावा दे रही है. कृषि विभाग के प्रयास से जिले में इस वर्ष मिलेट्स की खेती काफी लंबे समय के बाद शुरू कराई गयी है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार किसानों ने सरकार एवं कृषि विभाग की ओर से निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक भूमि पर खेती की है. माेटे अनाज की खेती को लेकर कृषि विभाग एवं आत्मा ने क्लस्टर बनाया है. सरकारी स्तर पर सामा, कौनी, मड़ुआ, ज्वार, बाजरा आदि के बीज किसानों को उपलब्ध कराने के साथ ही खेती से होने वाले लाभ के बारे में भी जागरूकता फैलायी जा रही है. चौथे रोडमैप में सरकार ने किया शामिल : कोरोना काल के बाद लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है. सरकार ने मिलेट्स की खेती को चौथे कृषि रोडमैप में शामिल किया है. जिला कृषि कार्यालय के पदाधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष पहली बार कृषि विभाग ने मिलेट्स की खेती के लिए लक्ष्य का निर्धारण किया है, जो कि दो हजार हेक्टेयर है. इसके लिए खासकर नदी किनारे वाले इलाकों में किसानों का क्लस्टर बनाकर खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सामान्य तौर पर खेती में रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाओं का प्रयोग किसानों के लिए मजबूरी बन गयी है. खेताें में अनावश्यक खर-पतवार को हटाने के लिए भी किसान धड़ल्ले से रासायनिक दवाओं का प्रयोग करते है, जिससे मृदा प्रदूषण के साथ जलवायु पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. मौसम में हाे रहे बदलाव को देखते हुए पारंपरिक फसलों की खेती से किसानों को हो रहे नुकसान को देखते हुए लंबे समय से मोटे अनाज की खेती विकल्प के रूप में जरूरत महसूस की जा रही थी. मोटे अनाज की खेती से खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के साथ-साथ विविधतापूर्ण खेती को भी बढ़ावा मिलेगा. मोटा अनाज शरीर के लिए काफी फायदेमंद पातेपुर पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अवनी कुमार व महुआ के चिकित्सक डॉ केसी विद्यार्थी ने बताया कि मोटा अनाज स्वास्थ्य एवं पोषण की दृष्टि से काफी फायदेमंद है. इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक पाया जाता है. मोटे अनाज में एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनाइस पिगमेंट, एंथोसाइनिन तथा लिगनिस भी पाये जाते हैं, जो कैंसर जैसी घातक बीमारियों में काफी फायदेमंद होता है. मोटे अनाज के नियमित सेवन से शरीर में शर्करा की मात्रा कम होती है. यह काेलेस्ट्रॉल को कम कर लोगों के मोटापा को कम करता है. हृदय को स्वस्थ्य रखने वाले तत्व भी मोटे अनाज में पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि मोटे अनाज में पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. पहले के जमाने में लोग मड़ुआ, सामा, कौनी, बाजरा आदि खाकर काफी लंबे समय तक स्वस्थ्य रहते थे. वर्तमान में सुखी-संपन्न लोग मोटे अनाज को काफी पसंद कर रहे हैं. मोटे अनाज की हर फसल का अपना अलग ही महत्व एवं पहचान है. बताया गया कि मड़ुआ एवं बाजरा लौह तत्व से भरपूर होते हैं. ज्वार में पोटैशियम एवं फॉस्फोरस होता है. मोटे अनाज में प्रोटीन, विटामिन, मैग्नीज, मैग्निशियम, जिंक, तांबा, तथा पोटैशियम होने के कारण इसके सेवन से लोगों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. मोटे अनाज के आच्छादन का प्रखंडवार आंकड़ा

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