नौ करोड़ से निर्माणाधीन सीएचसी भवन में पड़ने लगी दरारें
संवाददाता, हाजीपुरपातेपुर पीएचसी परिसर में लगभग 9 करोड़ की लागत से बन रहे 30 बेड के सीएचसी के भवन निर्माण में संवेदक की ओर से गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखने के कारण बनने के साथ ही भवन की दीवारों में दरारें पड़नी शुरु हो गयी है.
पातेपुर पीएचसी परिसर में हो रहा 30 बेड के सीएचसी का निर्माण भवन निर्माण कार्य में लगे अधिकारी नहीं करते है गुणवत्तापूर्ण निर्माण का जांच संवाददाता, हाजीपुर पातेपुर पीएचसी परिसर में लगभग 9 करोड़ की लागत से बन रहे 30 बेड के सीएचसी के भवन निर्माण में संवेदक की ओर से गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखने के कारण बनने के साथ ही भवन की दीवारों में दरारें पड़नी शुरु हो गयी है. स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद संवेदक दरारों को बिना मुर्गा जाली के ही केमिकल से भरवाने में लगे हैं, जिससे एक तरफ भरने के बाद दूसरी तरफ से दरारें आनी शुरू हो गयी है. निर्माण कार्य में लगी एजेंसी के कर्मियों का कहना है कि बिल्डिंग के नीचे दबने के कारण दरारें आ रही हैं. लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार तथा स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रही है. बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए जिले के विभिन्न प्रखंडों में भवन से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर भी बढ़ाए जा रहे है. विभागीय अधिकारी के अनुसार जिले के कुल आठ प्रखंडों में 30 बेड के सीएचएसी भवन का निर्माण कराया जा रहा है, जिसमें दो प्रखंड गोरौल तथा वैशाली में भवन बनकर तैयार होने के बाद संवेदक द्वारा विभाग को हस्तगत कराया जा चुका है. वहीं, विधानसभा की सूची से कुल छह अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र के लिए भवन का निर्माण कराया गया है. विभागीय अधिकारी के अनुसार एक सीएचसी भवन के लिए लगभग 9 करोड़ रुपये खर्च किया जाना है. वहीं, अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र के लिए लगभग डेढ़ करोड़ की राशि आवंटित की गयी है. इन सभी के अलावे जिले के चार प्रखंडों में 20 बेड के चार फेब्रिकेटेड अस्पताल का निर्माण कराया गया है. सीएचसी के तीसरे तल पर दरारें देखने को मिल रही हैं. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है निर्माण के दौरान बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गयी है. भवन को भूकंपरोधी बनाने की बात बतायी गयी थी, लेकिन स्थिति ऐसी है कि बिना भूकंप के ही भवन गिरने लगेगा. इस संबंध में कर्मियों ने बताया कि भवन निर्माण के दौरान न तो कोई इंजीनियर देखने आते हैं और न ही ठेकेदार मौके पर मौजूद रहते हैं. मेटेरियल में कटौती और घटिया सिमेंट के उपयोग से दीवारें कमजोर हो गयीं है. सदर अस्पताल के डीपीओ कुमार मनोज ने बताया कि जिले में बड़े पैमाने पर भवन निर्माण का कार्य चल रहा है. समय-समय पर देखभाल एवं निर्माण कार्य की गुणवत्ता जांच के लिए तीन अधिकारियों को नियमित तौर पर प्रतिनियुक्त किया गया है, जिनमें एक उप महाप्रबंधक, एक प्रोजेक्ट मैनेजर तथा एक तकनीकी मैनेजर शामिल हैं. लेकिन, एक भी अधिकारी जिले में रह कर निर्माण कार्य का निरीक्षण नहीं करते हैं. कभी-कभी दौरा कर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. यही कारण है कि बनने के साथ ही भवन की दीवारों में दरारें पड़ने लगी हैं. भवन में लगाये जाने वाले फिक्स एसेट्स एवं मेडिकल उपकरण की गुणवत्ता का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है. ठेकेदार को रिपेयरिंग के लिए कहा गया पातेपुर में सीएचसी भवन का निर्माण चल रहा है. समय-समय पर निर्माण कार्य का निरीक्षण किया जाता है. निरीक्षण के दौरान दीवार में दरार की जानकारी मिली थी. ठेकेदार को दरार वाले स्थान पर मुर्गा जाली लगाकर रिपेयरिंग करने के लिए कहा गया है. ऐश ब्रिक्स के कारण दरारें पड़ती हैं. रिपेयरिंग कराने के बाद ही विभाग को हस्तगत कराया जायेगा. राहुल कुमार, प्रोजेक्ट मैनेजर, बीएमआइएससीएल
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