वैशाली जिले में माॅनसून के कमजोर पड़ने से किसानों की चिंता बढ़ गयी है. बीते चार दिनों से कड़ी धूप एवं उमस भरी गर्मी ने जहां लोगों की परेशानी को बढ़ा दी है, वहीं आसमान में मंडराते बादल को देख किसान झमाझम बारिश का इंतजार कर रहे है. इस वर्ष जून महीने में बारिश नहीं होने तथा जुलाई के प्रथम सप्ताह में बारिश होने के बाद खरीफ फसल से अच्छी पैदावार की उम्मीद में किसानों ने फसल लगाना शुरू ही किया था कि मौसम ने दगा देना शुरू कर दिया. इससे किसान निराश दिख रहे हैं. हालांकि साधन संपन्न किसान पंपिंग सेट या अन्य माध्यमों से खेती करने में जुटे हैं. मौसम की बेरुखी ने धान के बेहतर उत्पादन की उम्मीद पाले किसानों की चिंता बढ़ा दी है. संसाधन के अभाव में जिले के किसान बारिश की उम्मीद पर धान एवं अन्य खरीफ फसल लगाना शुरू किया था. आधा जुलाई से अधिक समय बीतने के बाद भी जिले में लक्ष्य का मात्र 29 प्रतिशत भूमि पर ही धान की फसल लग सकी है. माॅनसून की बेरुखी ने किसानों की गति में ब्रेक लगा दिया. जिला कृषि कार्यालय के आंकड़े के अनुसार इस वर्ष जिले में 50318.59 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि लक्ष्य के अनुरूप जुलाई के प्रथम सप्ताह में बारिश होने पर धनरोपनी की रफ्तार अच्छी थी, लेकिन बारिश में कमी के कारण रोपनी की रफ्तार काफी धीमी हो गयी है. बुधवार तक जिले में बारिश तथा अन्य माध्यमों से किसानों ने 15115.54 हेक्टेयर भूमि पर धान की रोपनी कर चुके हैं, जो निर्धारित लक्ष्य का मात्र 28.99 प्रतिशत है. बताया गया कि जिले में सबसे अधिक धान की रोपनी वैशाली प्रखंड में 2856.54 हेक्टेयर में की जा चुकी है. वहीं सबसे कम राघोपुर प्रखंड में मात्र 80.37 हेक्टेयर में धान की फसल लगायी गयी है.
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