वैशाली. विकास के बड़े-बड़े दावे तथा कई अति महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर चल रहे कार्य के बावजूद वैशाली का विकास आज भी अधूरा है. विकास योजनाओं की धीमी रफ्तार और शासन-प्रशासन की उदासीनता की वजह से वैशाली के ऐतिहासिक स्थल आज भी उपेक्षित पड़े हैं. कुछ योजनाएं फाइलों में अटकी पड़ी है, तो कुछ योजनाओं का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद भी उसे शुरू नहीं किया जा सका. कुछ योजनाएं ऐसी हैं, जो उद्घाटन के बाद भी चालू नहीं हो सकी. इसकी वजह से न सिर्फ वैशाली के लोगों में मायूसी है, बल्कि यहां आने वाले देसी-विदेशी सैलानियों को भी मायूसी होती है. वैशाली के कई पर्यटक स्थल जिनमें बौना पोखर, हरिकटोरा पोखर, विमल कीर्ति सरोवर सहित सभी पोखरों का जीर्णोद्धार एवं उनकी उड़ाही के साथ ही सौंदर्यीकरण, हाई स्कूल से मंदिर तक स्ट्रीट लाइट, कमल वन, केतकी वन एवं मिरनजी की दरगाह का सौंदर्यीकरण, भगवानपुर रत्ती जहां बौद्ध धर्म की द्वितीय संगति हुई थी, के जंगली पोखर का भी सौंदर्यीकरण का मास्टर प्लान बना कर इसके कार्यान्वयन का निर्देश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2010 में अपने वैशाली प्रवास के दौरान अधिकारियों को दिया था. लेकिन ये योजनाएं कभी धरातल पर नहीं उतर सकी. कई बार ट्रायल के बाद शुरू नहीं हो लेजर लाइट एंड साउंड शो वैशाली भ्रमण को आने वाले देसी-विदेशी सैलानियों को वैशाली समेत बिहार के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों से रूबरू कराने के लिए अभिषेक पुष्करणी में लेजर लाइट एंड साउंड सिस्टम लगाये गये हैं. इसे करीब 4.20 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है. अगस्त 2022 से इसका कई बार ट्रायल भी हो चुका है. लेकिन यह अभी तक शुरू नहीं हो सकी है. सालों भर पुष्करणी में जलापूर्ति की योजना भी अधर में वैशाली में शांति स्तूप के समीप स्थित ऐतिहासिक अभिषेक पुष्करणी के जल से कभी लिच्छवी गणराज्य के राजाओं का अभिषेक हुआ करता था. इस पुष्करणी में सालों भर पानी की उपलब्धता बनाये रखने के लिए 894.41 लाख की लागत से तिरहुत नहर प्रमंडल के वैशाली के मनिकपुर से अभिषेक पुष्करणी तक जलापूर्ति के लिए प्रेशर पाइप लगाये गये हैं. इसका निर्माण एक वर्ष पहले ही पूर्ण हो गया. लेकिन आज तक पोखर की न तो उड़ाही की गयी और न ही पोखर का सौंदर्यीकरण हो सका. दो दशक से लटकी है टूरिस्ट रिसोर्ट की योजना वैशाली में पयर्टन स्थलों के सौंदर्यीकरण व विकास की कई योजनाएं वर्षों से फाइलों में सिमटी हुई है. दो दशक पूर्व वर्ष 2004 से वैशाली के आसपास की कई जगहों पर भूमि का अधिग्रहण किया गया था. जिन योजनाओं के लिए अधिग्रहण किया गया था, उसका कार्यान्वयन नहीं हो पाया. वर्ष 2004 में अभिषेक पुष्करणी से पश्चिम टूरिस्ट रिसोर्ट के लिए दस एकड़ जमीन का अधिग्रण किया गया था. अधिग्रहित भूखंड की बाउंड्री करायी गयी, लेकिन टूरिस्ट रिसोर्ट डेवलपमें के नाम पर कोई काम नहीं हो पाया है. इसी तरह से वर्ष 2009 में होटल वैशाली रेसीडेंसी से सटे पूरब में कला एवं संस्कृति विभाग ने ढाई एकड़ जमीन अधिग्रहित कर चारो तरफ से बाउंड्री वाल भी कराया. उस भूखंड पर सार्वजनिक सभागार बनाने की योजना थी, लेकिन वह भी पूरा नहीं हो सका. पर्यटन सूचना केंद्र से नहीं मिल पाती है कोई सूचना वैशाली भ्रमण को आने वाले सैलानियों की सुविधा व उन्हें पर्यटन स्थलों से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए वैशाली में पर्यटक सूचना केंद्र की स्थापना की गयी है. करीब दो माह पूर्व पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसका उद्घाटन किया था. लेकिन यहां से सैलानियों को कोई जानकारी नहीं मिल पाती है. न सार्वजनिक शौचालय बना न टूरिस्ट थाना अभिषेक पुष्करणी के समीप ही मार्केट कॉम्प्लेक्स की दुकानें तो बनायी गयी, लेकिन यह किसी को अलॉट नहीं किया गया. रख रखाव के अभाव में यह मार्केट कॉम्लेक्स जर्जर हो रहा है. यहां न तो सामूहिक शौचालय का निर्माण कराया गया और न ही पर्यटकों की सुरक्षा के लिए पर्यटन थाना का. पर्यटन थाना प्रस्ताव वर्ष 2013 भेजा गया था. लेकिन इस पर बात आगे नहीं बढ़ सकी. सड़क निर्माण की योजना भी अधूरी वैशाली हाईस्कूल चौक से होते हुए वैशाली गढ़ से सटे उत्तर दिशा से घोघा चंवर को पार करते हुए शांति स्तूप के पश्चिम किनारे अभिषेक पुष्करणी के पश्चमी तट से मिलाने के लिए नयी सड़क निर्माण स्वीकृत नक्शा के अनुसार गढ़ के पश्चिम तक जमीन का अधिग्रहण 2016 में ही हुआ था. किसानों को मुआवजे की राशि भी मिल चुकी है, लेकिन इस सड़क का निर्माण की योजन भी अधर में लटकी है. पर्यटकों की सुविधा के लिए सड़क का निर्माण कार्य महत्वपूर्ण योजना थी.
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