बिदुपुर. कोरोना संक्रमण काल में भी आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के बेहतर पोषण के लिए सरकार कई स्तरों पर प्रयास कर रही है, लेकिन विभागीय पदाधिकारियों की उदासीनता की वजह सरकार के तमाम प्रयास धरातल पर विफल होते देख रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल जिले के बिदुपुर प्रखंड का. यहां विभागीय उदासीनता से मासूम बच्चों की जान भी सांसत में पड़ गयी है. आइसीडीएस की ओर से यहां के लगभग 13 हजार बच्चों के बीच एक्सपायरी दूध पाउडर के पैकेट का वितरण कर दिया गया. दूध पीने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर मेडिकल टीम ने उनकी जांच की. जब यह बात विभाग तक पहुंची तो आनन-फानन में मामले की लीपापोती शुरू कर दी गयी. वितरण किये गये दूध के पैकेट को इकट्ठा किया जाने लगा.
मिली जानकारी के अनुसार बिदुपुर प्रखंड की खिलवत पंचायत के आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 118 की आंगनबाड़ी सेविका मुन्नी कुमारी ने पंचायत के वार्ड नंबर 11 स्थित दिलावरपुर पश्चिम में जिन बच्चों को विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये दूध के पैकेट का वितरण किया, उसकी पैकिंग दो वर्ष पूर्व की थी. दूध के पैकेट पर पैकिंग का डेट 21 नवंबर 2018 तथा बेस्ट यूज बिफोर सिक्स मंथ फ्रॉम द डेट ऑफ पैकिंग अंकित. इस दूध के पैकेट वितरण वार्ड नंबर 11 के हैनुल हक, मो डांगर, मोईम मिया, मो अनीश, राम बाबू राय, पाचु पासवान आदि के बीच किया गया. जिन लोगों ने अपने बच्चे को दूधा पिलाया, उन बच्चों का मुंह दूध पीने के बाद खुजलाने लगा. कई बच्चो के मुंह पर लाली आ गयी. स्वास्थ्य प्रबंधक के अलावा डॉ विनोद कुमार के साथ तीन डॉक्टरों की मेडिकल टीम को बच्चों के स्वास्थ्य की जांच के लिए भेजा गया. हालांकि प्राथमिक उपचार से ही सभी बच्चे ठीक हो गए.
डॉ कुमार ने बताया कि सभी बच्चे खतरे से बाहर हैं. इधर, सीडीपीओ प्रीति कौशल ने बताया कि बच्चों के बीच एक्सपायरी दूध के पैकेट का वितरण उनकी ओर से नहीं किया गया है. बच्चों की तबीयत बिगड़ते ही इकट्ठा कर लिये गये पैकेट एक्सपायरी दूध पीने से जब छोटे-छोटे बच्चों के खराब होने की सूचना विभागीय पदाधिकारियों को मिली, तो वे सभी हरकत में आ गये. आनन-फानन में सीडीपीओ ने केंद्र की सेविका-सहायिका को वितरण किये गये दूध के पैकेट को वापस लेने के लिए भेजा. इतना ही नहीं खाली किये गए दूध के पैकेट को भी जबरन वसूला गया. मात्रा से कम दिये गये दूध के पैकेटइधर, आंगनबाड़ी सेविका सह संघ की जिलाध्यक्ष सविता कुमारी ने बताया कि लॉकडाउन में सभी बच्चों के घर पर ही दूध का पैकेट उपलब्ध कराना था. कार्यालय द्वारा प्रत्येक सेंटर पर 40 पैकेट दूध देना था, मगर विभाग ने मात्र 26 पैकेट दूध ही दिया. इससे वितरण करने में कठिनाई हुई है.
कई बच्चे इस योजना से वंचित रह गये. जिलाध्यक्ष ने बतायी कि आइसीडीएस कार्यालय, बिदुपुर से ही सभी सेविका को दूध के पैकेट दिये जाते हैं. आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को दिया जाता है दूधमालूम हो कि 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा आंगनबाड़ी केंद्रों पर दी जाती है. प्रखंड के 325 आंगनबाड़ी केंद्र के अधीन लगभग 13 हजार बच्चे नामांकित हैं. उन्हें पौष्टिक आहार में विभाग द्वारा दूध का पैकेट दिया जाता, जो मानक की परवाह किये बगैर एक्सपाइरी दूध का पैकेट दिया गया. यह न सिर्फ बच्चों के स्वास्थ्य से बल्कि उनकी जान के साथ भी खिलवाड़ है. खतरनाक है एक्सपायरी दूध का सेवन एक्सपायरी दूध घोल कर छोटे बच्चों को पिलाने से फूड प्वाइजनिंग हो जाती है. इससे बच्चों का मानसिक विकास रुक जाता है. इसमें बच्चे की जान भी जा सकती है.डॉ. संजय दास, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बिदुपुर