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hajipur news. कृषि बाजार की नयी नीति के खिलाफ किसान संगठनों ने किया प्रदर्शन

किसान संगठनों के कार्यकर्ताओं ने शहर में प्रतिवाद मार्च निकाला और गांधी चौक पहुंच कर कृषि बाजार की नयी नीति के प्रारूप का दहन किया

हाजीपुर. संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत सोमवार को यहां किसान संगठनों ने केंद्र सरकार की नयी नीति के विरोध में प्रदर्शन किया. कृषि विपणन पर नयी राष्ट्रीय नीति को अविलंब वापस लेने की मांग की गयी. किसान संगठनों के कार्यकर्ताओं ने शहर में प्रतिवाद मार्च निकाला और गांधी चौक पहुंच कर कृषि बाजार की नयी नीति के प्रारूप का दहन किया. प्रतिवाद मार्च का नेतृत्व अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य उपाध्यक्ष विशेश्वर प्रसाद यादव, अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन के ललित कुमार घोष, अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान सभा के त्रिभुवन राय ने किया. इसके बाद चौक पर विशेश्वर प्रसाद यादव की अध्यक्षता में सभा हुई. इन नेताओं के अलावे गोपाल पासवान, सुमन कुमार, प्रेमा देवी, राम पारस भारती, हरि नारायण सिंह, रामजतन राय, सुरेश राय, अरविंद ठाकुर, महताब राय, राजेश रौशन आदि ने सभा को संबोधित किया. नेताओं ने कहा कि 70 वर्ष के किसान नेता दल्लेबाल पिछले 26 दिनों से एमएसपी गारंटी कानून बनाने, किसानों के कर्ज माफ करने सहित अन्य मांगों के समर्थन में आमरण अनशन पर हैं, लेकिन सरकार उनसे वार्ता कर अनशन समाप्त नहीं करा रही है. उल्टे संविधान और लोकतंत्र का गला घोंटते हुए दिल्ली में जारी किसान आंदोलन पर दमनचक्र चलाया जा रहा है. ग्रेटर नोएडा के किसानों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया है. किसानों के ऐतिहासिक 13 महीने के आंदोलन के बाद सरकार ने तीनों काले कृषि कानून को वापस लिया था. लेकिन, उसी की तर्ज पर कृषि उपज व्यापार के लिए नयी नीति का प्रारूप सरकार ने पेश किया है, जो पूरी तरह से कृषि व्यापार को अदाणी-अंबानी जैसे कॉरपोरेट घरानों के हाथों में देने के लिए है. वक्ताओं ने कहा कि बिहार के किसान एपीएमसी एक्ट खत्म किये जाने का विरोध करते हैं और फिर से कृषि मंडियों को चालू करने की मांग करते हैं. जबकि केंद्र सरकार देश की सभी कृषि मंडियों को बंद करना चाहती है. यहां तक कि हाट-बाजार में भी पूंजीपतियों के जरिए किसानों की फसलें खरीदी जायेंगी. शुरुआती दिनों में पूंजीपति निर्धारित समर्थन मूल्य से कुछ ज्यादा राशि किसानों को दे सकते हैं, लेकिन सभी सरकारी मंडियों और क्रय केंद्रों के बंद हो जाने पर वे किसानों से मनमाने दाम पर फसलों की खरीद करेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा खेती के कॉरपोरेटकरण का विरोधी जारी रखेगा. गांव-गांव में किसान गोष्ठियां आयोजित कर किसानों को संघर्ष के लिए तैयार किया जायेगा.

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