हाजीपुर. कृषि विज्ञान केंद्र, हरिहरपुर वैशाली के अथक प्रयास से केले से रेशा तैयार करने व इससे बनने वाले उत्पाद की प्रसिद्धि धीरे-धीरे देश-दुनिया में फैलने लगी है. दूसरे देशों के कृषि वैज्ञानिक इस तकनीक को देखने और समझने के लिए यहां आ रहे हैं. इसी कड़ी में फ्रांस के स्टार्टअप के कोफाउंटर क्रिश्चियन डेबिट अपने साथियों के साथ यहां पहुंचे हैं. उन्होंने हाजीपुर के नौशहन गांव में केला रेशा तैयार करने की यूनिट का विजिट किया. केला रेशा यूनिट में केले के थंब से मशीन से रेशा निकालने के तरीके को उन्होंने देखा और इसकी जानकारी प्राप्त की. मालूम हो कि हाजीपुर केला की खेती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. खासकर चिनिया व मालभोग केले की प्रजाति के लिए. कुछ वर्ष पूर्व तक खेत से केला काट कर किसान थंब को डंप कर दिया करते थे, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र हरिहरपुर वैशाली के पूर्व वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ सुनीता कुशवाहा के प्रयास से हाजीपुर के नौशहन गांव में वर्ष 2021 में एक केला रेशा निष्कर्षण इकाई की स्थापना की गयी. तत्कालीन कुलपति डॉ आरसी श्रीवास्तव ने इस यूनिट का उद्घाटन किया था. उस वक्त तत्कालीन निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ एमएस कुंडू में भी उपस्थित थे. वर्ष 2021 में इस यूनिट ने कार्य करना शुरू किया था. इसे जगत कल्याण, सत्यम कुमार एवं नीतीश कुमार ने शुरू किया था. इन युवाओं ने इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की. उसके बाद वे कृषि विज्ञान केंद्र वैशाली में कार्यरत डॉ सुनीता कुशवाहा के पास पहुंचे थे. उनके मार्गदर्शन में उन्होंने इस कार्य को शुरू किया था. समय-समय पर तकनीकी सहयोग कृषि विज्ञान केंद्र से मिलता रहा. साथ ही निदेशक प्रसार शिक्षा के द्वारा भी उनको मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा, जिससे आज केला रेशा निष्कर्षण ने देश में ही नहीं विदेश में भी अपनी पहचान बनायी है. हाजीपुर के नौशहन में बनायी गयी केले के थम के रेशे की की सप्लाइ देश के विभिन्न राज्यों में की जाती है.
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