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एक दशक बाद भी डंपिंग जोन के लिए नहीं मिल सकी जमीन, खुले में डंप किया जा रहा कचरा

नगर परिषद के कर्मचारियों की लापरवाही एवं अधिकारियों के अनदेखी के कारण महुआ रोड स्थित नहर के पास शहर से निकलने वाली सैंकडों टन कचरे का डंपिंग जोन बनता जा रहा है. नगर परिषद के कर्मचारी शहर से कचरे को ले जाकर सड़क किनारे ही छोड़ देते है जिससे गाड़ियां चलने के कारण कचरे सड़क पर आ जाते है.

हाजीपुर. नगर परिषद के कर्मचारियों की लापरवाही एवं अधिकारियों के अनदेखी के कारण महुआ रोड स्थित नहर के पास शहर से निकलने वाली सैंकडों टन कचरे का डंपिंग जोन बनता जा रहा है. नगर परिषद के कर्मचारी शहर से कचरे को ले जाकर सड़क किनारे ही छोड़ देते है जिससे गाड़ियां चलने के कारण कचरे सड़क पर आ जाते है. जिससे सड़क हादसे होने की संभावना भी बढ़ रही है. वहीं ग्रामीण क्षेत्र के पशु प्लास्टिक युक्त कचरे को खाकर बीमार पड़ रहे है. सड़क किनारे कचरा डंप किए जाने से राहगीरों को भी आने जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हाजीपुर शहर से प्रतिदिन निकलने वाली सैकडों ट्रॉली कचरे को महुआ रोड स्थित बिजली ऑफिस के पास डंप किया जा रहा है. शहर से निकलने वाली गीले एवं सूखे कचरे को खुले में डंप किए जाने से जहां बीमारी का खतरा बढ़ रहा है वही आसपास के लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि इस मामले में नगर परिषद के अधिकारी निचली जमीन को पाटने का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लेते है. लेकिन इससे होने वाले नुकसान का जरा भी ख्याल नहीं रख रहें है.

जहां देखा खाली जगह वहीं डंप कर देते है कचरा

नगर परिषद के अधिकारी के अनुसार नगर परिषद के पास अपना कचरा डंपिंग जोन नहीं है. सफाई कर्मचारी द्वारा सड़क किनारे जहां कहीं भी खाली जमीन देखी जाती है वहीं कचरे को डंप कर दिया जाता है. जबकि स्वच्छता गाइड लाइन के अनुसार शहर से निकले कचरे को शहर से तीन किलोमीटर तथा लोगों की बस्ती से दूर डंप किया जाना है. स्थानीय लोगों ने बताया कि सड़क किनारे कचरा नहीं रखने के लिए बार-बार नगर परिषद के अधिकारी को कहा जाता है लेकिन अधिकारी भी सुनने के लिए तैयार नहीं है. सबसे अधिक परेशानी तो तब हाेती है जब जमा कचरे को जलाया जाता है. कचरा जलने से निकलने वाली जहरीली दुर्गंध से स्थानीय लोगों के साथ राहगीरों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

प्रतिदिन शहर से निकलता है 75 से 80 टन कचरा

नगर प्रबंधक अभय कुमार निराला ने बताया कि प्रतिदिन शहर के सभी 45 वार्डों से करीब 75 से 80 टन कचरा निकलता है. जिसे लो-लैंड वाले स्थानों पर डंप करने के बाद उसे बालू या मिट्टी से ढंक किया जाता है. बताया गया कि कचरे के डंपिंग जोन के लिए जिला प्रशासन से काफी लंबे समय से जमीन की मांग की जा रही है. कई बार इसके लिए पत्राचार भी किया गया. नगर परिषद के बैठक में भी इसके लिए चर्चा किया गया लेकिन जमीन उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सका है. कचरे के निस्तारण के लिए भी लगाए जाने वाले कचरा प्रोसेसिंग यूनिट का मामला भी लंबित है. हालांकि इसके लिए विभागीय स्तर पर कार्य किया जा रहा है.

शहर के कचरे को कई सड़कों के किनारे किया जाता है डंप

नगर परिषद के कर्मचारी के अनुसार शहर से निकलने वाली कचरे को रूट के अनुसार शहर से बाहर महुआ रोड स्थित बिजली ऑफिस के पास, मुजफ्फरपुर रोड में पुलिस लाइन से आगे तथा गर्दनिया चौक- कौनहारा रोड स्थित सड़क के दक्षिणी छोड़ पर स्थित लो-लैंड जमीन पर डंप किया जाता है. बताया गया कि जमा कचरे को स्थानीय लोगों द्वारा जला दिया जाता है. जिसके बाद उसपर बालू या मिट्टी डालकर दबा दिया जाता है. जिससे कच्चा एवं गीला कचरा सड़ जाते है लेकिन प्लास्टिक वाला कचरा नहीं सड़ता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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