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वैशाली को जल्द मिलेगी बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह बुद्ध स्मृति स्तूप की सौगात

वैशाली वासियों को जल्द ही बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह बुद्ध स्मृति स्तूप का सौगात मिलने वाला है. इसका निर्माण कार्य अंतिम चरण में है.

वैशाली.

वैशाली वासियों को जल्द ही बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह बुद्ध स्मृति स्तूप का सौगात मिलने वाला है. इसका निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. वैशाली में अभिषेक पुष्करिणी के समीप अधिग्रहित की गयी 72 एकड़ भूमि पर भवन निर्माण विभाग द्वारा बनाये जा रहे बौद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह बुद्ध स्मृति स्तूप के मेडिटेशन सेंटर, लाइब्रेरी, विजिटर हॉल व गेस्ट हाउस, लगभग बन कर तैयार हैं. वहीं भगवान बुद्ध की अस्थि कलश रखने के लिए बन रहे स्तूप का भी निर्माण कार्य काफी जोर शोर से चल रहा है. इसे पूरा करने में सैकड़ों मजदूर दिन-रात लगे हुए हैं. निर्माण कार्य एजेंसी सापुरजी पालोनजी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रदीप विष्ट ने बताया कि लगभग 550 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस बुद्ध समयक दर्शन संग्रहालय में स्तूपा, म्यूजियम, संग्रहालय, विजिटर सेंटर, मेडिटेशन सेंटर, गेस्ट हाउस, ओरियेंटल गैलरी, लाइब्रेरी, एमपी थिएटर आदि का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. साथ ही गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था, कैफेटेरिया के साथ-साथ पूरे परिसर को व्यवस्थित रूप से सजाया जा रहा है. इसका निर्माण कार्य इस महीने के अंत तक पूरा होने की संभावना जतायी जा रही है. उसके बाद इसके उद्घाटन की आधिकारिक तिथि की घोषणा की जायेगी.

आकर्षक वास्तुशिल्प व खूबसूरत नक्काशी का दिखेगा संगम :

यह आधुनिक भारत के इतिहास में पहला स्तूप होगा जो हजारों साल तक सुरक्षित रहेगा. बुद्ध समयक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप को आकर्षक वास्तुशिल्प और खूबसूरत नक्काशी का रूप दिया गया है. हाजीपुर-मुजफ्फरपुर मुख्य मार्ग से उत्तर की ओर से इसका मुख्य द्वार होगा, जहां भगवान बुद्ध की एक मूर्ति स्थापित होगी. अंदर प्रवेश करने पर दोनों किनारे दो म्यूजियम होंगे. उसके बाद पर्यटक मुख्य संग्रहालय तक आयेंगे. मुख्य संग्रहालय मे एक साथ दो हजार पर्यटक दर्शन कर सकेंगे. यहां प्रवेश के लिए चार द्वार के साथ-साथ रैंप भी रहेगा, जहां तोरणद्वार रहेंगे. वहीं साढ़े चार करोड़ की राशि से पथ निर्माण विभाग द्वारा बौद्ध स

मयक दर्शन संग्रहालय जाने के मुख्य मार्ग का निर्माण किया गया है.

गुलाबी पत्थर से बनाये जा रहे हैं स्तूप :

बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप में 38 हजार 500 पत्थर लगाये जा चुके हैं. स्तूप को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए राजस्थान से गुलाबी पत्थर मंगाये गये हैं. पत्थरों से निर्मित पूरी संरचना में पत्थरों को जोड़ने के लिए किसी भी प्रकार के चिपकाने वाले पदार्थ का प्रयोग नहीं किया गया है. बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप का निर्माण भवन निर्माण विभाग द्वारा 4300 वर्ग मीटर भूखंड में किया जा रहा है. निर्माणाधीन बुद्ध स्मृति स्तूप की कुल ऊंचाई 33 मीटर है. इसका आंतरिक व्यास 38 मीटर और बाहरी व्यास 50 मीटर है.

बड़ी संख्या में आयेंगे देसी-विदेशी सैलानी :

केपी जायसवाल शोध संस्थान के निदेशक अनंत सदाशिव अलकेटर की अगुआयी में 1958 में पुरातत्विक खुदाई के अंतर्गत फाहियान एवं व्हेनसंग के यात्रा वृतांत में वर्णित तथ्यों के आधार पर वर्तमान में स्थित बौद्ध स्तूप के अंदर भगवान बुद्ध के अस्थि कलश की प्राप्ति हुई थी. उसे 1958 से 1972 तक वैशाली के निजी संग्रहालय में रखा गया था. बाद में सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस अनमोल धरोहर को पटना मे ंकड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है. इसे देखने काफी संख्या में थाइलैंड, श्रीलंका, वियतनाम, जापान, कंबोडिया आदि देशों के पर्यटक आते हैं. वहीं बुद्ध समयक दर्शन संग्रहालय का निर्माण कार्य पूरा होने एवं भगवान बुद्ध की अस्थि कलश स्थापित होने के बाद वैशाली भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा होगा और यहां के लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. बौद्ध दर्शन संग्रहालय के उद्घाटन में बौद्ध गुरु दलाई लामा के आने की संभावना है. इसके उद्घाटन के समय की अधिकारिक घोषणा जल्द होने की संभावना है.

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