तापमान बढ़ने के कारण भीषण गर्मी का प्रभाव आम लोगों के साथ फसलों पर भी पड़ने लगा है. अधिक तापमान के कारण दलहनी फसल मूंग में इस वर्ष फलन नहीं होने से उत्पादक किसानों की चिंता बढ़ गयी है. वहीं आम एवं लीची के फसलों पर भी भीषण गर्मी का असर देखा जा रहा है. बारिश नहीं होने के कारण जमीन की नमी काफी नीचे जा चुकी है. आम के फल में बढ़त नहीं होने से किसानों के साथ व्यापारियों को भी नुकसान की चिंता सताने लगी है. लीची में फल लगने के बाद बारिश नहीं होने के कारण छोटे-छोटे आकार के ही फल तैयार हो सके है साथ ही इस साल अधिक गर्मी के कारण लीची के फल की लाली भी गायब हो गयी है. भीषण गर्मी एवं मौसम के बेरुखी के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसान राम नरेश सिंह, डोमन राय, अर्जुन सिंह, भिखारी राय आदि ने बताया कि गर्मी के कारण इस वर्ष मूंग की फलन काफी कम हुई है. शुरुआती दौर में पछुआ हवा चलने के कारण जमीन की नमी काफी नीचे चली गयी. किसानों ने बड़ी उम्मीद के साथ मूंग की खेती की थी. पौधे भी अच्छे आये हैं, लेकिन मौसम के प्रतिकूल होने के कारण पौधों में फलन नहीं आया है. बताया गया कि जिले के अधिकांश क्षेत्रों में लोग गेहूं काट कर मूंग की फसल लगाते हैं. फसल लगने के साथ ही तापमान बढ़ने से पहले तो खेतों में बीज का अंकुरण कम गया. कुछ पौधे निकले भी तो मौसम की मार से फलन कम हो गया. आम के व्यापारी सकलदीप राय, मनोज राय, किसान महेंद्र सिंह, जगरनाथ राय, अरविंद सिंह आदि ने बताया कि अधिक गर्मी के कारण आम के फल में बढ़ोतरी नहीं हो सकी. वहीं अधिक गर्मी में फल के डंठल कमजोर होने के कारण टिकोला के समय ही काफी मात्रा में फल झर गये. आम का फल छोटा हाेने से वजन कम होंगे जिससे व्यापारियों को काफी नुकसान होगा. आम के व्यापारी भरत सिंह ने बताया कि इस तरह का मौसम लगभग 10 साल बाद देखने को मिल रहा है. पूर्व में भी एक साल ऐसे ही मौसम के कारण आम के उत्पादन पर गहरा असर पड़ा था. जब भीषण गर्मी के कारण पेड़ से टिकोले ही गिर गये थे. बताया गया कि शुरुआत में पछुआ हवा के कारण इस बार आम में मधुआ जैसे रोग का प्रकोप काफी कम था. किसानों तथा व्यापारियों को उम्मीद थी कि आम तैयार होने से पहले एक दो बार बारिश हाेगी तो फल बढ़ेगा, जिससे उत्पादन अधिक होने से आमदनी अच्छी होगी, लेकिन मौसम की बेरुखी ने सबको मायूस कर दिया है. गर्म मौसम एवं तपीश के कारण इस बार लीची के उत्पादन पर भी काफी असर दिख रहा है. बारिश नहीं होने से लीची के फल काफी छोटे एवं काले पड़ गये हैं, जिससे किसानों को इसका उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. हालांकि किसान लीची बरसात गिरने से पहले ही तोड़ कर पूंजी निकालने में लगे हैं. किसानों ने बताया कि छोटे फल एवं धूप के कारण काली पड़ी लीची के ग्राहक भी कम हैं. बाजार भाव कम मिलने के कारण व्यापारियों को भी नुकसान हो रहा है. हालांकि कुछ किसान बारिश होने के आस में रुके हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है