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हत्या के मामले में दो अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय नवीन ठाकुर ने बुधवार को हत्या के एक मामले में दो अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनायी है.

हाजीपुर. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय नवीन ठाकुर ने बुधवार को हत्या के एक मामले में दो अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनायी है. साथ उन पर 10-10 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. यह जानकारी अपर लोक अभियोजक खालिद लतीफ ने दी. उन्होंने बताया कि बिदुपुर थाना क्षेत्र के गोपालपुर निवासी रितेश कुमार पर गांव के ही संजय राय और मुकेश सिंह ने तीन मई, 2020 को तलवार से काट कर बुरी तरह जख्मी कर दिया था. घटना के अगले दिन इलाज के दौरान पीएमसीएच में उसकी मौत हो गयी थी. इस घटना को लेकर बिदुपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. इस मामले में पुलिस ने मुकेश सिंह के विरुद्ध छह जून, 2021 को न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया. न्यायालय में उसके विरुद्ध 24 जून, 2021 को संज्ञान लिया गया. वहीं, पुलिस ने संजय राय के विरुद्ध 15 जनवरी, 2022 को आरोप पत्र समर्पित किया. न्यायालय ने उसके विरुद्ध 31 मार्च, 2022 को संज्ञान लिया. न्यायालय में इन दोनों के विरुद्ध अलग-अलग आरोप गठन कर विचारण शुरू किया गया. इस मामले में मुकेश सिंह के नौ तथा संजय राय के विरुद्ध छह साक्षियों के अपर लोक अभियोजक खालिद लतीफ द्वारा कराये गये परीक्षण-प्रतिपरीक्षण के बाद बीते 14 अगस्त को न्यायालय ने दोनों अभियुक्तों को दोषी करार दिया था. इसी मामले में बुधवार को सजा के बिंदु पर सुनवाई के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय ने दोनों अभियुक्तों को को उम्रकैद और 10-10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी. अर्थदंड की राशि जमा नहीं करने पर दोनों को तीन-तीन साल के सश्रम कारावास की भी सजा सुनायी गयी है.थानाध्यक्ष व आइओ पर कार्रवाई करने का निर्देश अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अष्टम आदित्य पांडेय ने एक जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान वाद दैनिकी के साथ जख्म प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं कराने पर महनार के थानाध्यक्ष व कांड के आइओ के विरुद्ध दो सप्ताह के अंदर कार्रवाई करने का निर्देश एसपी को दिया है. यह मामला महनार थाना कांड संख्या 159/24 से संबंधित है. इस संबंध में लोक अभियोजक वीरेंद्र नारायण सिंह ने बताया कि महनार वार्ड संख्या 11 के निवासी सुरेश ठाकुर को पुलिस ने जानलेवा हमले के मामले में गिरफ्तार कर बीते 20 जून को जेल भेज दिया था. उसने अधिवक्ता के माध्यम से एक जुलाई को जमानत याचिका दाखिल करायी. इस मामले में वाद दैनिकी की मांग की गयी, लेकिन पुलिस ने बिना जख्म प्रतिवेदन के ही वाद दैनिकी न्यायालय में प्रस्तुत की. इस मामले में न्यायालय एवं लोक अभियोजक ने बार-बार जख्म प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की मांग की गयी, लेकिन घटना के तीन महीने बीतने के बाद भी पुलिस ने जख्म प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया. इसे न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए महनार के थानाध्यक्ष एवं इस मामले के अनुसंधानकर्ता के विरुद्ध दो सप्ताह अंदर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

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