हाजीपुर. राष्ट्रकवि दिनकर अकादमी एवं देवचंद महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में तिरहुत साहित्य उत्सव 2024 का आयोजन हुआ. कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए विधान पार्षद एवं पूर्व केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री डॉ संजय पासवान ने कहा कि साहित्य व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के लिए पथ प्रदर्शक है. राष्ट्र की आत्मा और संस्कृति को साहित्य ही पुष्ट करता है. तिरहुत साहित्य उत्सव का आयोजन इस क्षेत्र के साहित्यिक उन्नयन में मददगार होगा. कॉलेज के सभागार में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ तारकेश्वर पंडित ने की. संचालन अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष डॉ महेंद्र प्रियदर्शी ने किया. अकादमी के जिलाध्यक्ष डॉ शिवबालक राय प्रभाकर ने अतिथियों को अंग-वस्त्र और बुके देकर उनका स्वागत किया. शिवांश युग ने वाणी वंदना का सस्वर पाठ और कसक ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया. दो सत्रों में आयोजित कार्यक्रम के प्रथम सत्र में विभिन्न भाषाओं की दशा और दिशा पर व्याख्यान हुए. शिक्षाविद माधव राय ने संस्कृत भाषा-साहित्य, डीसी कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो आलोक कुमार सिंह ने हिंदी, डॉ मो अब्बुलैस ने आंग्ल भाषा, प्रो मंतशा ने उर्दू, डॉ हरिशंकर प्रसाद सिंह ने प्राकृत, डॉ धनाकर ठाकुर ने मैथिली तथा बज्जिका परिषद के संयोजक मणिभूषण प्रसाद सिंह अकेला ने बज्जिका भाषा-साहित्य की दशा और दिशा पर विस्तार से प्रकाश डाला. प्रो जितेंद्र कुमार ने दिनकर की काव्य-संवेदनाओं को रेखांकित किया. मौके पर साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिल्ली के कवि मनीष मधुकर, गुवाहाटी के रत्नेश कुमार सिंह, जहानाबाद के युवा कवि अमृतेश कुमार मिश्र, समस्तीपुर के दिवाकर दिव्यांक, सीतामढ़ी के अनमोल सावरण तथा वैशाली की डॉ वीणा द्विवेदी को राष्ट्रकवि दिनकर सारस्वत सम्मान से सम्मानित किया गया. मुख्य अतिथि राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं बिहार विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ भगवान लाल साहनी ने कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक अवदान को भुलाया नहीं जा सकता. अध्यक्षीय संबोधन में कॉलेज के प्राचार्य डॉ तारकेश्वर पंडित ने साहित्य को समाज का दर्पण बताया. दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन हुआ, जिसकी अध्यक्षता मनीष मधुकर और संचालन मेदिनी कुमार मेनन ने किया. डॉ धनाकर ठाकुर ने धरा बिक रही, आसमान बिक रहा.., सीताराम सिंह ने कोई प्यार से मिला नहीं.., अमृतेश कुमार मिश्र ने जिम्मेदारी के मारे नहीं रो सके.., दिवाकर दिव्यांक ने शहर नया है.., डॉ वीणा द्विवेदी ने धरा से मनुष्यता.. कविता सुनाकर खूब तालियां बटोरीं. आशुतोष कुमार सिंह, अर्णव शांडिल्य आदि ने भी काव्यपाठ किया. कार्यक्रम में डॉ मीना, डॉ नंदेश्वर प्रसाद सिंह, कविता नारायण, डॉ अवनीश कुमार मिश्र, डॉ प्रकाश कुमार, प्रो आतीफ रब्बानी, सत्येंद्र कुमार सिंह समेत अन्य उपस्थित थे. राष्ट्रकवि दिनकर अकादमी के निदेशक आचार्य चंद्र किशोर पराशर ने धन्यवाद ज्ञापित किया.
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