वायनाड हादसा : महमदपुर पोझा में हर ओर दिख रहा मातमी सन्नाटा

केरल के वायनाड में लैंड स्लाइड की वजह से मची भारी तबाही का दर्द गोरौल प्रखंड के महमदपुर पोझा गांव की दलित बस्ती में भी दिख रहा है. यहां लोगों के घरों में मातम छाया हुआ है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 1, 2024 10:16 PM

केरल के वायनाड में लैंड स्लाइड की वजह से मची भारी तबाही का दर्द गोरौल प्रखंड के महमदपुर पोझा गांव की दलित बस्ती में भी दिख रहा है. यहां लोगों के घरों में मातम छाया हुआ है. वायनाड जिले में लैंड स्लाइड की वजह से मची भरी तबाही में वहां चूरलमाला में रहने वाले इस बस्ती के कई लोग इसकी चपेट में आ गये थे. लैंड स्लाइड की घटना में महमदपुर मोझा दलित बस्ती निवासी उपेंद्र पासवान की पत्नी फूल कुमारी की मौत हो गयी थी. वहीं उसके पति उपेंद्र पासवान अलावा अरुण पासवान जख्मी हो गये थे, जबकि उनके साथ रहने वाले बिजनेश पासवान का अभी तक कुछ पता नहीं चला है. ये सभी पिछले पांच-छह साल पहले वहां काम करने गये थे. गुरुवार की दोपहर महमदपुर पोझा गांव की दलित बस्ती में मातम पसरा हुआ था. पीड़ितों के घरों में कोहराम मचा हुआ है. अपनों की सलामती की खबर के इंतजार में परिजन बेसुध पड़े हैं. फूल कुमारी के परिजनों ने बताया कि मृतका का अंतिम संस्कार वायनाड में ही कर दिया गया है. उसके पुत्र रवि रौशन ने मुखाग्नि दी. वहीं पति उपेंद्र अब भी इलाजरत बताया गया है. वृद्ध पिता को है बिजनेश की सलामती की खबर का इंतजार : वायनाड में हुई घटना के बाद यहां पूरी बस्ती में मातम पसरा हुआ है. ज्यादातर घरों में तो चूल्हे तक नहीं जले हैं. इस घटना में लापता बिजनेश पासवान के वृद्ध पिता 80 वर्षीय सुरेंद्र पासवान घर के बाहर मायूस बैठे हुए थे. उन्हें बस अपने पुत्र के सलामती की खबर का इंतजार है. बिजनेश की मां करीब 75 वर्षीया बसंती देवी ने बताया कि उसका पुत्र बस्ती के ही उपेंद्र के साथ पिछले छह वर्षों से वहां चाय बगान में काम करता था. उसकी कमाई से ही घर चलता था. पुत्र का कोई समाचार नहीं मिलने की वजह से वृद्ध मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल है. लैंड स्लाइड की घटना में जख्मी अरुण पासवान की पत्नी कविता देवी का रो-रोकर बुरा हाल है. उसने बताया कि उसका पति लगभग पांच वर्षों से वहां रहकर चाय बगान में काम करता है. आज उसे मलाल है कि वह अपने जख्मी पति से मिलने भी वहां नहीं जा सकती है. परिजन व आसपास के लोग उसे ढांढस बंधाने में जुटे थे. ग्रामीणों के अनुसार इस गांव के करीब दो दर्जन लोग वायनाड जिले के चूरलमाला के चाय बगान में काम करते हैं. गांव के ही राजेश राय, धर्मेंद्र राय रवि कुमार, सुबोध कुमार, दीपक कुमार भी वहीं काम करते हैं. ये सभी लैंड स्लाइड की घटना में बाल बाल बच गये और पूरी तरह से सुरक्षित हैं.

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