मात्र 90 नर्सिंग होम को है फायर सेफ्टी का एनओसी
अस्पताल सरकारी हो या निजी, दोनों का ही काम लोगों की जीवन रक्षा का है. लोग बड़ी उम्मीद के साथ यहां आते हैं, लेकिन जब इसकी सुरक्षा भगवान भरोसे, तो लोग कहां जायेंगे.
अस्पताल सरकारी हो या निजी, दोनों का ही काम लोगों की जीवन रक्षा का है. लोग बड़ी उम्मीद के साथ यहां आते हैं, लेकिन जब इसकी सुरक्षा भगवान भरोसे, तो लोग कहां जायेंगे. पिछले महीने दिल्ली के एक शिशु अस्पताल में हुई अगलगी की भीषण घटना में कई नवजात की मौत हाे गयी थी. अगलगी की इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. अगलगी की इस घटना के बाद पूरे देश में अस्पतालों में मौजूद अग्नि सुरक्षा के इंतजामों पर सवाल उठने लगा है. अस्पतालों की फायर ऑडिट के साथ-साथ फायर सेफ्टी से एनओसी पर भी सवाल उठने लगे हैं. बात अगर वैशाली जिले की करें, तो यहां शहर से लेकर ग्रामीण इलाके तक सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ सैकड़ों नर्सिंग होम चल रहे हैं. बात अगर फायर सेफ्टी पर की जाये, तो शहर के गली-मुहल्लों से लेकर प्रखंड मुख्यालय के बाजारों में संचालित ज्यादातर नर्सिंग होम में फायर सेफ्टी के नाम पर फायर एक्सटिंग्विशर लगाकर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. फायर ब्रिगेड की मानें, तो जिले में जून 2023 से मई 2024 तक मात्र 186 नर्सिंग होम, क्लिनिक तथा सरकारी अस्पतालों का ऑडिट किया गया है, जिनमें मात्र 90 नर्सिंग होम को फायर सेफ्टी का एनओसी दिया गया है. वहीं, 96 चिकित्सीय संस्थानों के आवेदन जिला अग्निशमन कार्यालय में लंबित हैं, जिन्हें फायर अधिकारी द्वारा अनुपालन कराने का निर्देश दिया गया है. सहायक जिला अग्निशमन पदाधिकारी सत्येंद्र प्रसाद ने बताया कि जिले के तीनों अनुमंडल महुआ, महनार एवं हाजीपुर के शहरी क्षेत्रों में हजारों की संख्या में नर्सिंग हाेम संचालित हो रहे हैं, लेकिन संचालकों द्वारा आग से सुरक्षा को लेकर जारी गाइडलाइन का पालन नहीं कराया जा रहा है. इससे बड़ी-बड़ी बिल्डिंग में आग लगने पर भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसके लिए कई बार खासकर नर्सिंग होम एवं अस्पताल संचालकों को निर्देश भी दिया गया है.
नर्सिंग होम संचालकों को अग्निशमन विभाग से एनओसी लेना है अनिवार्य : सहायक जिला अग्निशमन पदाधिकारी ने बताया कि विभागीय गाइडलाइन के अनुसार सभी नर्सिंग हाेम संचालकों को अग्निशमन विभाग से एनओसी लेना अनिवार्य होता है. एनओसी नहीं लेने की स्थिति में संस्थान को सील करने का भी प्रावधान है. इसके लिए कई संचालकों को नोटिस भी दिया गया है. तीनों अनुमंडल क्षेत्र में संचालित नर्सिंग होम तथा क्लिनिक का भौतिक सत्यापन भी किया जा रहा है. सत्यापन के दौरान संचालकों को निर्देश देने के साथ ही जल्द से जल्द एनओसी लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
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