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टूरिज्म हब बनने की बाट जोह रहे लोग, उम्मीदों पर फिर रहा पानी

जिले में पर्यटन विकास की संभावनाओं पर पानी फिर रहा है. पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का क्षेत्र टूरिज्म हब बनने की बाट जोह रहा है. ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरों की धरती चेचर ग्राम समूह में खुदाई कार्य ठप पड़ने से इस क्षेत्र के लोग निराश हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | May 12, 2024 11:10 PM

हाजीपुर. जिले में पर्यटन विकास की संभावनाओं पर पानी फिर रहा है. पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का क्षेत्र टूरिज्म हब बनने की बाट जोह रहा है. ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरों की धरती चेचर ग्राम समूह में खुदाई कार्य ठप पड़ने से इस क्षेत्र के लोग निराश हैं. पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी के क्षेत्र राघोपुर में बिदुपुर अंचल के चेचर ग्राम समूह की पहचान प्राचीन कोटिग्राम के रूप में की गयी है. बताया जाता है कि यह स्थान नालंदा और चिरांद से कहीं ज्यादा प्राचीन है. पुरातत्वविदों के अनुसार, चेचर में नवपाषाण काल से लेकर शुंग काल तक के साक्ष्य और सामग्रियां मिलने की संभावना है. करीब 10 साल पहले पुरातत्व विभाग की ओर से निकट भविष्य में चेचर ग्राम समूह को टूरिज्म हब बंनाने की बात कही गयी थी. तब इस क्षेत्र के पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की जो उम्मीद लोगों में जगी थी, अब उस पर पानी फिरने लगा है. 2013 में मुख्यमंत्री ने किया था निरीक्षण : स्थानीय निवासी एवं स्वतंत्रता सेनानी रामपुकार सिंह की पहल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 14 फरवरी 2013 को जिले के ऐतिहासिक चेचर गांव का निरीक्षण किया था. इसके बाद उन्होंने भारतीय पुरातत्व विभाग को इसकी खुदाई करने को कहा. इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व और पर्यटन विकास की संभावनाओं को देखते हुए जब खुद सीएम ने दिलचस्पी ली, तो चेचर ग्राम समूह की दुबारा खुदाई शुरू हुई. दो जनवरी 2014 को राज्य के कला संस्कृति विभाग के सचिव ने पुरातत्व निदेशक एवं अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में खुदाई कार्य का शुभारंभ किया. जोर-शोर से खुदाई का कार्य शुरू तो हुआ, लेकिन कुछ ही महीनों में यह ठप पड़ गया. मिल चुकी है नवपाषाण युग की सभ्यता : वर्षों पूर्व पुरातात्विक खुदाई के दौरान चेचर ग्राम समूह में नव पाषाण युग की सभ्यता मिल चुकी है. वर्तमान में ग्राम समूह की खुदाई का स्थल चेचर और कुतुबपुर गांव में है. अब तक की खुदाई में ताम्र पाषाण काल के पत्थर की कुल्हाड़ी, फॉसलाइज्ड हड्डी, परफोरोटेड जार, मक्का, मनका, बोन के साथ पौंड, बॉल, स्लैड एंड रेडवेयर तस्तरी, मौर्यकालीन एनबीपी, ताम्रपाषाणकालीन पोस्ट होल्ड, एक हाथी समान जानवर का कंकाल आदि मिल चुके हैं. 10 साल पहले मई 2014 में राज्य सरकार के तत्कालीन कला संस्कृति मंत्री विनय बिहारी ने यहां आकर खुदाई का निरीक्षण करते हुए कहा था कि इस क्षेत्र की ऐतिहासिक गरिमा के मुताबिक इसे विकसित किया जायेगा. मंत्री ने खुदाई की गति तेज होने का भरोसा भी दिलाया था. खुदाई से खुलेंगी इतिहास की परतें : चेचर ग्राम समूह में 1978 की खुदाई से नव पाषाण काल के भी अवशेष मिले थे, जो चेचर संग्रहालय में संरक्षित हैं. इस इलाके के दो किलोमीटर के रेडियस में माउंट पाये जाने के बाद भारत सरकार से अनुज्ञप्ति प्राप्त कर दुबारा खुदाई शुरू की गयी. तेलहारा और चौसा के बाद बिहार में विस्तृत खुदाई के लिए इस तीसरे स्थान का चयन किया गया है. पुरातत्व विशेषज्ञों का कहना है कि यहां की खुदाई से कई ऐसी बातों की जानकारी हासिल हो सकती है, जिससे इतिहास अब तक अनभिज्ञ है. संग्रहालय के सचिव चंद्रभूषण सिंह कहते हैं कि भारत सरकार को खुदाई कार्य का स्टेटस रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण आगे खुदाई का कार्य नहीं हो पाया. राज्य सरकार से उम्मीद है कि इस दिशा में आवश्यक कदम उठायेगी. पर्यटन के विकास से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर : ऐतिहासिक विरासतों को समेटे चेचर ग्राम समूह के पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होने के बाद इस क्षेत्र की उन्नति का द्वार खुल सकता है. क्षेत्र के लोगों का कहना है कि पर्यटन विकास के साथ यहां रोजगार की संभावना पैदा हुई है. सैकड़ों लोगों को रोजी-रोटी के अवसर मिलेंगे. जून 2014 में निरीक्षण के दौरान पुरातत्व निदेशक ने कहा था कि खुदाई कार्य में यदि रुकावट नहीं आयी तो जल्द ही चेचर ग्राम समूह टूरिज्म हब बन जायेगा. इलाके के लोग कहते हैं कि इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले तेजस्वी प्रसाद यादव जब नीतीश सरकार में उप मुख्यमंत्री बने थे, तो यह उम्मीद जगी थी कि टूरिज्म हब के विकास में आने वाले तमाम गतिरोध दूर होंगे और इस क्षेत्र का तेजी से विकास होगा. लेकिन, एक बार फिर सरकार बदलने के बाद क्षेत्र के लोग चेचर ग्राम समूह के टूरिज्म हब बनने की संभावनाओं पर ग्रहण लगता देख रहे हैं.

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