हाजीपुर. बिहार राज्य उच्च शिक्षा परिषद, पटना के सहयोग से राज नारायण कॉलेज, हाजीपुर में आयोजित हो रहे भारतीय ज्ञान प्रणाली और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अनुसंधान, विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन, पहला व्याख्यान बिहार राज्य उच्च शिक्षा परिषद, पटना में गणितज्ञ और अकादमिक सलाहकार प्रोफेसर (डॉ) एनके अग्रवाल ने दिया. डॉ अग्रवाल ने भारतीय ज्ञान को समावेशी और मानवीय प्रकृति को उजागर करने वाला बताया और इसके लिए वेद, चरक संहिता, नाट्यशास्त्र, अर्थशास्त्र, पाणिनी की अष्टाध्यायी और आर्यभट्ट और भास्कर की विश्व प्रसिद्ध ग्रंथों और रचनाओं का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि हमारा पारंपरिक ज्ञान पर्यावरण के प्रति जागरूक और नैतिक प्रकृति का है, जिसमें धर्म, कर्म और मोक्ष के सभी पहलू शामिल हैं. उन्होंने कहा कि आधुनिक चुनौतियों पर शोध करते समय हमें भारतीय ज्ञान प्रणाली के मूल सिद्धांतों को ध्यान में रखना होगा।दूसरे तकनीकी सत्र में ग्वांगडोंग टेक्नियन-इजराइल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग रोबोटिक्स, चीन के वैज्ञानिक प्रोफेसर (डॉ) मदन कुमार ने ऑनलाइन मोड में पीपीटी का उपयोग करते हुए हरित और टिकाऊ परिवहन प्रणाली पर व्याख्यान दिया. डॉ मदन ने इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की संभावनाओं और चुनौतियों, बेहतर परफॉर्मेंस के लिए आईसी का उपयोग करने वाले वाहनों और भविष्य के ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग करने के विकल्प की जानकारी दी. ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के उपयोग की संभावना के संबंध में उन्होंने भंडारण, परिवहन और सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा की और कहा कि मांग के अनुपात में आपूर्ति अत्यधिक अपर्याप्त है. उन्होंने नवीनतम शोध का वर्णन किया जहां सड़कें इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज कर सकती हैं, टकराव और दुर्घटनाओं से बचने के लिए स्मार्ट तकनीक, स्मार्ट सिग्नल प्रबंधन प्रणाली और एआई आधारित चालक रहित ऑटोमोबाइल हैं. भारत में इलेक्ट्रिक वाहन के भविष्य के बारे में गणित के सहायक प्रोफेसर डॉ. रवि पाठक के एक प्रश्न के उत्तर में, डॉ मदान ने कहा कि भारत को इस क्षेत्र में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है. कार्यशाला के दूसरे सत्र में डॉ प्रियंका चटर्जी, डॉ नीलांभरी और शोध छात्र हुसैन मेहदी ने परीक्षण और सत्यापन के लिए कुछ आवश्यक कुछ महत्वपूर्ण उपकरणों का प्रदर्शन किया. इसके बाद, बायोटेक संकाय अनिकेत ने प्रतिभागियों के समक्ष पृथक्करण और गणना के द्वारा पीने योग्य जल नमूने के जैव रासायनिक विश्लेषण के परीक्षण को दिखलाया, जबकि रसायन विज्ञान के सहायक प्रोफेसर श्री बुद्धदेव गौतम ने एनएमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी: एक चुंबकीय मानचित्रण उपकरण का लाइव प्रदर्शन किया.
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