हाजीपुर. डीपीओ (माध्यमिक शिक्षक एवं साक्षरता) के विरुद्ध जांच के लिए शिक्षा विभाग ने संकल्प पत्र जारी किया है. जांच के लिए प्रतिनियुक्त संचालन पदाधिकारी को तीन महीने के अंदर विभागीय कार्यवाही संपन्न कर अपनी जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है. इस संबंध में बीते 3 जनवरी को शिक्षा विभाग के निदेशक (प्रशासन) सह अपर सचिव सुबोध कुमार चौधरी ने बिहार के राज्यपाल के आदेश से पत्र जारी किया है.
जांच संकल्प में अपर सचिव ने जिक्र किया है कि राज्यपाल के विश्वास होने के कारण तत्कालीन डीपीओ (स्थापना) और वर्तमान में डीपीओ (माध्यमिक शिक्षा एवं साक्षरता) निशांत किरण के विरुद्ध कई गंभीर आरोप लगाये गये हैं. उन पर मुख्यमंत्री जनता दरबार, सीएम डैशबोर्ड, सीपी ग्राम, जिला जनता दरबार, जन शिकायत से संबंधित मामलों एवं स्थापना से संबंधित अन्य कार्यों में विलंब, स्थापना शाखा में बिना अवकाश आवेदन के कर्मियों का अनुपस्थित पाया जाना, कार्यालय में बायोमेट्रिक उपस्थिति का न होना, गलत मंशा से विभिन्न प्रकार के भुगतान में विलंब करना, कार्यालय में बिचौलियों का हस्तक्षेप, कार्य का ससमय निष्पादन नहीं होना, विधिवत रूप से कोई भी पंजी, अभिलेख संधारित नहीं होना एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी, वैशाली के आदेशों का अनुपालन नहीं करने आदि आरोप प्रथम दृष्टया प्रमाणित है. प्रथम दृष्टया प्रमाणित आरोपों की वृहत जांच के सरकार ने संकल्प लिया कि डीपीओ (माध्यमिक शिक्षा एवं साक्षरता) निशांत किरण के विरुद्ध बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली-2005 के नियम 17/19 के तहत विभागीय कार्यवाही प्रारंभ की जाये. इस विभागीय कार्यवाही के संचालन के लिए शिक्षा विभाग के विशेष सचिव सतीश चंद्र झा को संचालन पदाधिकारी एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी, वैशाली को उपस्थापन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है. संचालन पदाधिकारी को निर्धारित तीन माह के अंदर विहित प्रक्रियाओं का अनुसरण करते हुए विभागीय कार्यवाही संपन्न कर विहित प्रपत्र में अपना जांच प्रतिवेदन समर्पित करने का निर्देश दिया गया है. वहीं, संकल्प अनुबंध, आरोप पत्र एवं साक्ष्य तालिका की प्रति संचालन पदाधिकारी, प्रस्तुतीकरण पदाधिकारी को उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है.
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