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hajipur news. जिले की डायल-112 टीम का रिस्पांस टाइम मात्र चार मिनट, राज्य में सबसे कम

लोगों की सुरक्षा के साथ आपात स्थिति में उनकी जिंदगी भी बचा रही डायल-112 की टीम, वैशाली जिले में डायल-112 के 45 वैन पर तैनात हैं 425 पुलिसकर्मी, प्रतिदिन आ रहे हैं 92 से 110 कॉल

हाजीपुर

. जिले में तैनात डायल-112 आम लोगों की सुरक्षा के साथ-साथ जिंदगियां भी बचा रही है. अपनों से बिछड़े बच्चों को उनके परिजनों से भी मिला रही है. किसी भी विकट परिस्थिति में आम लोगों से सूचना मिलने के महज चंद मिनटों में ही मौके पर डायल-112 की टीम पहुंच जाती है. लोग मारपीट, सड़क दुर्घटना, अगलगी, छेड़खानी, जमीन विवाद जैसे मामलों में डायल-112 को कॉल कर रहे हैं.

जिले के वरीय पुलिस पदाधिकारी के अनुसार राज्य में डायल-112 का रिसीविंग टाइम(रिस्पांस टाइम) मात्र चार मिनट होने के कारण बिहार में वैशाली जिला टॉप-3 में पहले स्थान पर है. इसके साथ ही रात में अन्य प्रदेशों से आने वाले ट्रेन यात्रियों को भी उसके गंतव्य तक पहुंचाने में डायल-112 अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही है, जिससे लोगों में डायल-112 के प्रति विश्वास बढ़ रहा है.

एसपी हरकिशोर राय ने बताया कि जिले में बेहतर पुलिसिंग में डायल-112 की भूमिका काफी अच्छी देखी जा रही है. डायल-112 की तैनाती से जिले में काफी हद तक क्राइम के ग्राफ को कंट्रोल किया गया है. जिले में कुल डायल-112 के 45 वैन पर 425 पुलिसकर्मी तैनात हैं. इसके साथ ही शहरी क्षेत्र एवं वैसी गलियां, जहां वैन नहीं पहुंच सकते हैं, वैसे स्थानों के लिए 13 बाइक के साथ डायल-112 के कर्मी तैनात किये गये हैं. खासकर इमरजेंसी के समय डायल 112 से लोगों को काफी मदद मिल रही है.

शराबबंदी में कर रही सराहनीय कार्य

एसपी ने बताया कि जिले में डायल-112 काफी सक्रिय है. वैशाली जिले में 112 की रिसीविंग टाइम मात्र चार मिनट है. किसी भी थाना क्षेत्र में खासकर सड़क दुर्घटना, मारपीट या किसी आपराधिक गतिविधि की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच कर स्थिति को नियंत्रित कर रही है. खासकर शराब बंदी को लेकर डायल-112 की पुलिस काफी सराहनीय कार्य कर रही है. इसके लिए जिला स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले पुलिस कर्मी को सप्ताह में एक बार रिवार्ड से सम्मानित किया जाता है.

इमरजेंसी के समय एंबुलेंस का काम करती है डायल-112 की टीम

बताया गया कि सड़क दुर्घटना या किसी भी इमरजेंसी के समय डायल-112 की पुलिस तत्काल मौके पर पहुंच कर घायलों को अस्पताल पहुंचाती है. जिससे समय पर इलाज होने के कारण अब तक हजारों लोगों की जान बचाई जा चूकी है. भूमि विवाद, मारपीट एवं अन्य घटनाओं में भी डायल-112 की तत्परता के कारण थाना में केस की संख्या में भी काफी कमी आई है. लोगों ने बताया कि मारपीट के दौरान लोग तुरंत डायल-112 को कॉल कर देते है. पुलिस के मौके पर पहुंचते ही अधिकांश मामले आसानी से सुलझ जाते है. विभिन्न स्थानों पर डायल-112 की तैनाती के बाद स्कूली छात्राएं भी बेखौफ होकर स्कूल आती-जाती है.

एसपी ने बताया कि जिले में डायल-112 सेवा शुरु होने के बाद पुलिस बल की काफी कमी हो गयी है. हालांकि जल्द ही नये बहाली से जिले में कम हुए पुलिस बल को पूरा कर लिया जाएगा. पुलिस बल की कमी के कारण थाना की पुलिस के साथ अपराधियों को पकड़ने के लिए छापेमारी में भी डायल-112 की मदद ली जाती है. इसके साथ ही रात में मुख्य मार्गों पर डायल-112 की तैनाती से लूट या छिनतई जैसी घटनाओं में भी काफी कमी आई है. बताया गया कि एक दिन में पूरे जिले से 112 पर औसतन 92 से 110 कॉल आते है. सभी कॉल को क्षेत्रीय प्वाइंटों पर तैनात डायल-112 अटेंड करती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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