हाजीपुर. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आह्वान पर रविवार को सूबे के सभी जिला मुख्यालयों पर आयोजित धरना के तहत हाजीपुर जिला मुख्यालय के रामाशीष चौक पर शहीद स्मारक के समीप राजद नेताओं व कार्यकर्ताओं ने धरना दिया. इस दौरान महुआ विधायक डॉ मुकेश रौशन ने कहा कि 17 महीने की महागठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम रहते हुए तेजस्वी प्रसाद यादव की पहल पर बिहार में जातीय जनगणना हुई, जिसके आधार पर दलितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों, शोषित एवं वंचित समाज की वास्तविक स्थिति का वैज्ञानिक आकड़ा प्राप्त हुआ. इन आंकड़ों के आधार पर ही आरक्षण का दायरा 65 प्रतिशत तक बढ़ाया गया, ताकि शोषित एवं वंचित समाज के लोगों को उनकी संख्या के अनुसार भागीदारी मिल सके. पूर्व विधायक प्रेमा चौधरी ने दलित महिलाओं के साथ बढ़ती दुष्कर्म जैसी गंभीर घटनाओं पर चिंता जतायी. वहीं, प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि लंबे समय से देश में जाति जनगणना व आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग चल रही है, लेकिन केंद्र सरकार उस पर पहल नहीं कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार दलित-पिछड़ों को आरक्षण नहीं देना चाहती है, सिर्फ उसके वोट पर शासन करना चाहती है. धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष बैद्यनाथ सिंह चंद्रवंशी ने की एवं संचालन कृष्णा दास ने किया. इस अवसर पर पूर्व विधान पार्षद विशुनदेव राय, देव कुमार चौरसिया, पीके चौधरी, अनिलचंद्र कुशवाहा, शाहिद जमाल, नागेंद्र सिंह, संजय पटेल, ब्रिजनंदन राय, नसीम रब्बानी, मोहम्मद सरफराज एजाज, सुचित्रा चौधरी, केदार प्रसाद यादव, सत्येंद्र यादव, तपसी प्रसाद सिंह, उपेंद्र कुमार, रंजीत कुमार, संजय राय, संतोष कुमार चौधरी, संजय पासवान, विधुशेखर प्रसाद यादव, ललन साहू, सुभाष कुमार निराला, मंटू कुमार, नीतेश यादव, बबलू राय, विशाल गौरव, रौशन यादव, इ अमर आलोक आदि मौजूद थे. धरना प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति के नाम संबोधित दो सूत्री मांगों का ज्ञापन डीएम के माध्यम से भेजा गया. मांगपत्र में बिहार की तर्ज पर पूरे देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग की गयी है, ताकि भारत के वंचित समाज की वास्तविक स्थिति के वैज्ञानिक आंकड़े सामने आ सके. इससे वंचितों के संवैधानिक अधिकार सुरक्षित होंगे एवं आरक्षण पर लगातार हो रहे हमलों पर अंकुश लगेगा. साथ ही 65 प्रतिशत आरक्षण के दायरे को संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल कराने हेतु केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाए ताकि वंचित समाज के लोगों को उनकी संख्या के आधार पर सामाजिक एवं आर्थिक न्याय मिल सके.
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