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Hajipur News : दिल्ली की राह पर हाजीपुर, दमघोंटू हुई शहर की हवा

Hajipur News : ठंड व कोहरे की दस्तक के साथ वायु प्रदूषण का खतरा भी तेजी से बढ़ने लगा है. हाजीपुर जैसे छोटे से शहर का एक्यूआइ लेवल खतरनाक स्तर पर पहुंच जाना आने वाले खतरे का दस्तक दे रहा है. एयर क्वालिटी इंडेक्स में हाजीपुर शहर रेड जोन में चला गया है. शहर की खराब होती हवा में लोगों का दम घुटने लगा है.

हाजीपुर. देश-दुनिया के लिए चुनौती बना वायु प्रदूषण का खतरा कभी बड़े शहरों, खासकर जहां काफी मात्रा में औद्योगिक इकाइयां व वाहनों की संख्या ज्यादा है, वहां तक सिमटी हुई थी, लेकिन हाल के वर्षों में पर्यावरण की अनदेखी व वायु प्रदूषण के खतरे को गंभीरता से नहीं लेने की वजह से अब हाजीपुर जैसे छोटे शहर की हवा भी दमघोंटू हो गयी है. शहर की जहरीली होती हवा में सूक्ष्म और धूल कणों के साथ अब कार्बन मोनो ऑक्साइड की मौजूदगी बेहद खतरनाक हो गयी है. हाजीपुर शहर का एक्यूआइ मंगलवार को 113 के पास रहा. वहीं पीएम 2.5 की मात्रा 118.2 के आसपास है. यह स्तर न सिर्फ खतरनाक श्रेणी में है, बल्कि प्रदूषण पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए घातक बना हुआ है. हाजीपुर जैसे छोटे से शहर में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंच जाने के कई कारण हैं. खुले में कूड़े-कचरे का जलाना, सड़क पर दौड़ती वर्षों पुरानी जर्जर गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, सड़क व भवन निर्माण के दौरान मानक का ख्याल न रखने की वजह से उड़ती धूल, कचरा प्रबंधन की विशेष व्यवस्था न होना समेत कई ऐसे कारण है, जिसकी अनदेखी ने आज शहर की हवा को जहरीला बना दिया है.

कितना एक्यूआइ स्तर ठीक

जानकारों के अनुसार, अगर किसी शहर का वायु प्रदूषण गुणवत्ता (एक्यूआइ) 0 से 50 के बीच है, तो उस शहर की हवा ठीक है. वहीं, अगर एक्यूआइ का स्तर 51 से 100 के बीच है तो मध्यम है. इसके अलावा अगर एक्यूआइ का स्तर 101 से 200 पहुंच जाये तो यह खराब है. एक्यूआइ स्तर 201 से 300 पहुंचने पर यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है. 301 से 400 पहुंचने पर गंभीर हो सकता है. वहीं, 401 से 500 पहुंचने पर खतरनाक हो सकता है.

शहर में प्रदूषण पर क्या कहते हैं लोग

शहर में प्रदूषण चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है. प्रदूषण कम करने के सरल उपायों में आम जनों को आगे आने की जरूरत है. सड़कों पर वाहनों की संख्या कम करने और डीजल गाड़ियों की बजाय पेट्रोल, हाइब्रिड या इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों के इस्तेमाल पर जोर देना होगा. वाहनों की नियमित सर्विसिंग और जांच होनी चाहिए. कचरे नहीं जलाये जायें, इसे गंभीरता से लेना होगा. प्रदूषण से उत्पन्न खतरे की जानकारी लोगों में जानी चाहिए.

– डॉ सत्येंद्र कुमार, पर्यावरणविदपिछले डेढ़-दो दशक से शहर के लोग प्रदूषण की समस्या झेल रहे हैं. शहर का एक्यूआइ लेवल खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. यह चिंताजनक स्थिति है. वायु प्रदूषण के कारण लोगों में फेफड़े संबंधित बीमारी बढ़ रही है. खांसी, यक्ष्मा, हर्ट ब्लॉकेज, एग्जिमा, चक्कर आने, दम फूलने जैसी बीमारियों के लोग शिकार हो रहे हैं. अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए हमें खुद सजग रहने की जरूरत है.

– डॉ अमर आलोक, पूर्व चिकित्सा पदाधिकारीशहर की सड़कों पर उड़ती धूल, पुराने वाहनों से निकलते जहरीले धुंए, बायोमेडिकल कचरे के विषैले धूल-कण और रिहायशी इलाकों में कूड़े-कचरे की सड़ांध से लोगों का सांस लेना दूभर हो रहा है. इस प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां बढ़ रही हैं. शहर के लोग मुख्य रूप से वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण का सामना कर रहे हैं. इससे निजात के लिए हरसंभव उपाय करने की जरूरत है. जीवनशैली बदलनी होगी. हम नहीं चेते तो भयंकर परिणाम भुगतना पड़ेगा.

– सत्येंद्र कुमार, हेड क्लर्क, सिविल सर्जन ऑफिसशहर में प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या बन गयी है. प्रदूषण के कारण लोगों की सेहत पर गंभीर खतरा पैदा हो गया है. स्वच्छ हवा में सांस लेने की बात अब यहां बेमानी हो चुकी है. कभी हरा-भरा रहने वाला हाजीपुर अब देश का सबसे प्रदूषित शहर हो गया, यह चिंता की बात है. शहर में बायोमेडिकल कचरे से फैल रहा प्रदूषण ज्यादा खतरनाक है. इससे लोग गंभीर रोगों से ग्रसित हो रहे हैं. हम सभी को पर्यावरण बचाने का संकल्प लेना होगा.

– सुधीर कुमार पटेल, स्वास्थ्यकर्मी

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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