Siwan News : बदतर हुई जिले की हवा, एक्यूआइ पहुंचा 300 के पार, मास्क लगाकर निकलें बाहर
वायु प्रदूषण के मामले में सीवान सूबे की राजधानी को मात दे रहा है. पटना से ज्यादा खतरनाक हालत में जिले का वायु प्रदूषण स्तर है. धूलकण व डीजल और पेट्रोल गाड़ियों से निकल रहा धुआं पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है, जिससे प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ जा रही है.
सीवान. वायु प्रदूषण के मामले में सीवान सूबे की राजधानी को मात दे रहा है. पटना से ज्यादा खतरनाक हालत में जिले का वायु प्रदूषण स्तर है. धूलकण व डीजल और पेट्रोल गाड़ियों से निकल रहा धुआं पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है, जिससे प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ जा रही है. गुरुवार को जिले का एयर क्वालिटी 338 रिकाॅर्ड किया गया. वायु प्रदूषण की समस्या जिले के लिए नासूर बनती जा रही है. चिकित्सकों का मानना है कि प्रदूषण से मानव के फेफड़े प्रभावित हो रहे हैं. लंबे समय तक ऐसे माहौल में रहने से लंग कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. चिकित्सक डॉ संजय गिरि के मुताबिक दूषित हवा के चलते कई खतरनाक कण हवा में घुल जाते हैं. सांस लेने के दौरान यह कण फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं. इन खतरनाक कणों से फेफड़ों को काफी नुकसान होता है. इसकी वजह से फेफड़ों के साथ हार्ट डैमेज होने का खतरा रहता है. दमा व सांस संबंधी बीमारियों के लिए वायु प्रदूषण जानलेवा हो सकता है.
फेफड़े के कैंसर के लिए पीएम 2.5 व पीएम 10 जिम्मेदार
बस, ऑटो, कार, जेनरेटर, जलाया गया कूड़ा, फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं. वहीं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और ओजोन जैसी गैस भी वायु को प्रदूषित करती हैं. इनके कारण बनने वाले छोटे-छोटे धूलकण जिन्हें पर्टिकुलेट मैटर कहा जाता है वायुमंडल में शामिल हो जाते हैं. यह छोटे कण सांस लेने पर फेफड़ों तक पहुंच कर उनके टिशू में समा जाते हैं. यह पर्टिकुलेट मैटर फेफड़ों में कैंसर का कारण बन जाते हैं.पेड़ों को काटने से भूमंडल में लगातार बढ़ रहा है प्रदूषण
पर्यावरण विशेषज्ञ ब्रजकिशोर यादव का मानना है कि पेड़ों की तेजी से हो रही कटान और न ये पौधों का रोपण न होने से भूमंडल में प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है. हवा में घुले इस जहर से गंभीर बीमारियां भी तेजी से पांव पसार रही हैं. हर 10 में नौ लोग दूषित हवा में सांस ले रहे हैं. यही वजह है कि श्वास जनित बीमारियों से मौतें हो रही हैं. टीबी, दमा जैसी बीमारियों से लोग ग्रस्त होते जा रहे हैं. वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए हर व्यक्ति को अधिक से अधिक पौधारोपण की जरूरत है. दूषित हवा से दमा के अलावा गले में दर्द, एलर्जी, निमोनिया, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, शुगर, चिड़चिड़ापन, बालों का झड़ना व समय से पहले बाल सफेद होना सामान्य हो चुका है. दूषित हवा कैंसर जैसी बीमारी को भी बढ़ा रही है. इसके प्रभाव को कम करने के लिए पेड़ों की कटाई रोकने के साथ शहरी क्षेत्र में पलायन पर रोक लगाना जरूरी हो गया है.बढ़ रहा वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
जिले में वायु प्रदूषण के जो हालात है, वह निश्चित तौर पर स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. वायु प्रदूषित होने से लोगों को फेफड़े की बीमारी होने का डर रहता है. अस्थमा होने का चांस बना रहता है. दूषित हवा से सांस संबंधी तमाम बीमारी होने का डर होता है. हालांकि इसको लेकर जिलावासी काफी सक्रिय हैं. उनका कहना है कि सरकार को वायु प्रदूषण रोकने के लिए कड़े से कड़े कदम उठाना चाहिए. तभी लोग इसको मानेंगे. कोरोना से बचाव के लिए लोग मास्क पहन रहे थे. अगर एयर पॉल्यूशन से बचना है, तो लोगों को मास्क पहनकर ही घर से बाहर निकलना चाहिए. अगर स्वास्थ्य रहना है तो हमें प्रदूषित हवा से बचना होगा. उनका कहना है कि सरकार को वायु प्रदूषण रोकने के लिए कड़े से कड़े कदम उठाना चाहिए, तभी लोग इसको मानेंगे. कोरोना से बचाव के लिए लोग मास्क पहन रहे थे. अगर एयर पॉल्यूशन से बचना है, तो लोगों को मास्क पहनकर ही घर से बाहर निकलना चाहिए.
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