बाल श्रम उन्मूलन के लिए श्रम संसाधन विभाग, बिहार बिहार एवं डीएम के निर्देश पर गठित टीम ने हाजीपुर व महुआ में छापेमारी कर विभिन्न प्रतिष्ठानों से तीन बाल श्रमिकों को मुक्त कराया है. रेस्क्यू किये गये तीनों बाल श्रमिकों को बाल कल्याण समिति, हाजीपुर के समक्ष सुपुर्द कर दिया गया है. साथ ही बच्चों से कार्य कराने वाले नियोजकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने की प्रक्रिया की जा रही है. न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के अंतर्गत भी उपरोक्त नियोजकों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी. श्रम अधीक्षक, वैशाली शशि कुमार सक्सेना ने बताया कि हाजीपुर सदर से मुरली राय की मेसर्स चाय-नाश्ता एंड मिठाई दुकान, महुआ रोड, सुभई चौक एवं महुआ से मो असरफ के मेसर्स ताज स्टील्स, महुआ बाजार के यहां हेल्पर के रूप में कार्य कर रहे दो बाल श्रमिकों को विमुक्त कराया गया है. बाल श्रमिकों से बात करने पर पता चला कि उन्हें नियमानुसार न्यूनतम मजदूरी का भी भुगतान नहीं किया जा रहा है.
धावा दल में श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी हाजीपुर सदर सुबोध कुमार, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, पटेढ़ी बेलसर नीतीश कुमार, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, महुआ गौतम प्रभात, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, चेहराकलां अलख निरंजन, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, महनार सोनाली प्रभा एवं सदर थाना हाजीपुर एवं महुआ थाने के पुलिस पदाधिकारी शामिल थे. श्रम अधीक्षक ने बताया कि बाल श्रम करवाने वाले नियोजकों को 20 हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक जुर्माना या छह माह के कारावास या दोनों सजा का प्रावधान है. साथ ही नियोजक को प्रति बाल श्रमिक 20 हजार रुपये जिला में संधारित बाल श्रमिक पुनर्वास कोष के खाता में जमा करना होगा. बताया कि योग्य बाल श्रमिकों को तत्काल आर्थिक सहायता के रूप में तीन हजार रुपये प्रति विमुक्त बाल श्रमिक के बैंक खाते में राशि जमा कराना है. साथ ही मुख्यमंत्री राहत कोष से 25 हजार रुपये प्रति बाल श्रमिक की दर से संबंधित विमुक्त बाल श्रमिक के बैंक खाते में राशि को उनके नाम से फिक्स डिपोजिट कराया जाना है.
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