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hajipur news. निजी जमीन पर नल जल योजना की बोरिंग कराने का ग्रामीणों ने किया विरोध

पातेपुर प्रखंड की मालपुर पंचायत के वार्ड छह का मामला, सरकारी जमीन रहने के बाद भी योजना के लिए निजी जमीन का चयन करने का आरोप

हाजीपुर/ पातेपुर . पातेपुर प्रखंड की मालपुर पंचायत के वार्ड संख्या छह में सरकारी जमीन के बदले पीएचइडी द्वारा निजी जमीन में नलजल योजना का सबमर्सिबल लगाने का ग्रामीणों ने विरोध कर दिया. ग्रामीणों के विरोध के बाद कार्य पर रोक लगा दी गयी. इस दौरान ग्रामीणों ने विभागीय पदाधिकारियों पर सरकारी जमीन उपलब्ध रहने के बावजूद निजी जमीन पर बोरिंग कराने का आरोप लगाया. सूचना पर पहुंची बहुआरा ओपी की पुलिस ने आक्रोशित लोगों को समझा का शांत कराया. इस मामले में ग्रामीणों ने बीडीओ, सीओ तथा पीएचइडी के वरीय अधिकारी के साथ जिला पदाधिकारी को देकर सरकारी जमीन पर बोरिंग तथा नलजल का जलमीनार का निर्माण कराने की मांग की है.

विरोध प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने बताया कि मालपुर पंचायत के वार्ड संख्या छह में पिछले कई वर्षों से नलजल योजना का लाभ नहीं मिल रहा था. इसके लिए पीएचइडी विभाग द्वारा पंचायत में नलजल योजना के तहत जलमीनार का निर्माण कराया जाना है. ग्रामीणाें ने बताया कि वार्ड संख्या छह में सरकारी जमीन उपलब्ध रहने के बाद भी बिचौलियाें की मदद से नियम की अनदेखी करते हुए गांव के एक युवक निजी जमीन में बोरिंग कराया जा रहा है. इसकी जानकारी होने पर आक्रोशित लोगों हंगामा शुरू कर दिया. वहीं लोगों की शिकायत पर जेई ने काम बंद करा दिया. इसकी सूचना पर पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे बहुआरा ओपी प्रभारी विजय कुमार झा ने लोगों को समझा कर शांत कराया.

पीएचईडी ने नहीं मांगी थी जमीन

इस संबंध में पातेपुर के सीओ प्रभात कुमार ने बताया कि पीएचइडी के अधिकारी ने मालपुर पंचायत के वार्ड संख्या छह में किसी प्रकार की जमीन की मांग नहीं की है. सिर्फ एक जमीन का खाता, खेसरा नंबर आदि देकर किसके नाम से जमीन है, उसके बारे में जानकारी मांगी गयी थी. सरकारी योजना के क्रियान्वयन के लिए निजी जमीन पर आपत्ति या अनापत्ति विभागीय स्तर पर नहीं दी जा सकती है. वहां सरकारी जमीन उपलब्ध है तो सरकारी काम उसी जमीन पर होना चाहिए. पीएचइडी के अधिकारी प्रस्ताव देते, तो उन्हें तत्काल जमीन उपलब्ध करा कर एनओसी दे दिया जाता है.

सरकारी जमीन को दी जाती है प्राथमिकता

इस संबंध में जेई राजीव कुमार ने बताया कि वार्ड संख्या में छह में नलजल का जलमीनार लगाने के लिए जमीन की तलाश की गयी थी. सरकारी जमीन नहीं मिलने के कारण निजी जमीन का चयन किया गया था. वहीं, इस संबंध में सहायक अभियंता रेखा कुमारी ने बताया कि नलजल योजना के लिए सरकारी जमीन को प्राथमिकता दी जाती है. सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं रहने पर ही निजी जमीन पर जल मीनार लगाया जाता है. इसके लिए प्रखंड के जेई संबंधित जमीन की वेरिफिकेशन के लिए सीओ को भेजते हैं. सीओ की रिपोर्ट के बाद ही जेई को काम कराने का आदेश दिया जाता है. ग्रामीणों की आपत्ति की शिकायत मिली है. मामले की जांच करायी जा रही है. सरकारी जमीन उपलब्ध रहने पर उसी में जलमीनार का निर्माण कराया जाएगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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