शोपीस बनकर रह गया है करोड़ों की लागत से बना जलमीनार

महुआ नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत प्रखंड मुख्यालय परिसर में महुआ वासियों को पेयजल संकट से मुक्ति दिलाने के लिए 50 हजार गैलन क्षमता वाले जलमीनार का करोड़ों रुपये की लागत से निर्माण कराया गया है. जलमीनार को बने कई साल बीत चुके हैं, लेकिन ये आज तक शुरू नहीं हो पाया है। यह अब सिर्फ शोपीस बन कर रह गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 13, 2024 11:03 PM

संवाददाता, हाजीपुर. महुआ नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत प्रखंड मुख्यालय परिसर में महुआ वासियों को पेयजल संकट से मुक्ति दिलाने के लिए 50 हजार गैलन क्षमता वाले जलमीनार का करोड़ों रुपये की लागत से निर्माण कराया गया है. जलमीनार को बने कई साल बीत चुके हैं, लेकिन ये आज तक शुरू नहीं हो पाया है। यह अब सिर्फ शोपीस बन कर रह गया है. गौरतलब है कि जलमीनार के निर्माण के बाद महुआ के आधे भाग में पाइप लाइन का भी काम कराया गया, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण लंबे समय बीतने के बाद भी लोगों को इस अति महत्वाकांक्षी योजना से लाभ के रूप में एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हुआ. जबकि विभाग द्वारा माेटर पंप चलाने के लिए लाखों रुपये का जेनरेटर भी लगाया गया था, जो झाड़ियों के बीच पड़ा धूल फांक रहा है. वहीं इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर पीएचडी विभाग द्वारा एक सहायक कार्यपालक अभियंता, एक कनीय अभियंता एवं एक परिचारी की तैनाती की गयी है. जिन्हें हर माह विभाग द्वारा लाखों रुपये सैलरी के रूप में दी जा रही है. वर्ष 2011-12 में करोड़ों की लागत से बनकर तैयार हुआ था जलमीनार स्थानीय नगरवासियों ने बताया कि वर्ष 2011-12 में लोगों के काफी प्रयास के बाद महुआ वासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करोड़ों रुपये खर्च कर जलमीनार का निर्माण कराया गया था. निर्माण कार्य पूरा होने के बाद संवेदक द्वारा मीनार को पीएचडी विभाग के हवाले कर दिया गया था. तत्कालीन समय में बिजली की समस्या को देखते हुए लाखों रुपये खर्च कर विभाग ने हाई पावर का जेनरेटर भी खरीद कर लगाया था. बाजार के आसपास के इलाकों में पाइप लाइन भी बिछाया गया, लेकिन अभी तक एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हुआ. नगर परिषद तथा पीएचडी विभाग एक दूसरे पर टाल रहे भार इस संबंध में पीएचडी विभाग के सहायक कार्यपालक अभियंता ने बताया कि वर्ष 2019 में ही पीएचइडी विभाग ने जलमीनार को नगर परिषद के हवाले कर दिया था. जिसके बाद उसे चालू करने के लिए तत्कालीन डीएम से लिखित पत्राचार भी किया गया था, लेकिन किसी कारण से इस जलमीनार को अब तक चालू नहीं कराया जा सका है. वही नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने पीएचडी विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग द्वारा जलमीनार को नगर परिषद के हवाले नहीं किया गया, जिसके कारण उसे चालू नहीं कराया जा सका है. वहीं नगर परिषद के वार्ड पार्षदों का कहना है कि महुआ नगर परिषद क्षेत्र में जलमीनार होने के बाद भी नगर वासियों को भीषण गर्मी में खरीद कर पानी पीने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है. क्या कहते है नगरवासी नगर परिषद क्षेत्र में करोड़ों रुपये की लागत से बने जलमीनार से लोगों को आजतक एक बूंद भी पानी नहीं मिला है. पीएचईडी विभाग की हालत ऐसी है कि जबतक पंचायत में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत लगे नलजल योजना पीआरडी के हवाले था तब तक था तब तक लोगों को पानी मिल भी रही थी. लेकिन जब से सरकार ने इस योजना को पीएचईडी के हवाले कर दिया है तब से लोगों को पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है. जलमीनार चालू करने के लिए बीडीसी की बैठक में भी प्रस्ताव लिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी. संजीत राय, गरजौल पहाडपुर, मुखिया सह नगर परिषद कमेटी सदस्य नगर परिषद क्षेत्र में बना जलमीनार लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है. कई बार इसके लिए विभाग के साथ जिला पदाधिकारी से भी शिकायत की गयी, लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं किया गया. अभिषेक कुमार जायसवाल, पूर्व पार्षद, महुआ अप्रैल महीने में ही भीषण गर्मी शुरू हो गयी है. लोगों को पीने के पानी के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पीएचईडी विभाग के अधिकारियों को लोगों की समस्या से कोई मतलब ही नहीं है. एक करोड़ से अधिक के लागत से जलमीनार बना था लेकिन एक दशक बीतने के बाद भी लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. रविशंकर कुमार, युवा व्यवसायी, महुआ नगर परिषद बनने के बाद महुआ वासीयाें को बड़ी उम्मीद जगी थी. जलमीनार बनने के बाद लोगाें में काफी खुशी हुई थी कि अब लोगों को पीने के लिए नल से शुद्ध पानी मिलेगा. लेकिन जलमीनार बने लगभग 13 साल बीत जाने के बाद भी अब तक एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हुआ है. बंटी मिश्रा, समाजसेवी नगरवासी, महुआ अधिकारी की भी सुने महुआ नगर परिषद क्षेत्र में बना जलमीनार पीएचईडी विभाग द्वारा नगर परिषद के हवाले नहीं किया गया है. जिससे मुझे पता ही नहीं था कि 50 हजार गैलन क्षमता का जलमीनार बनकर तैयार भी है और बंद पड़ा है. मामला संज्ञान में आया है तो उसे दिखवाया जाएगा. संजीव कुमार सुमन, नगर परिषद ईओ, महुआ महुआ में बना जलमीनार कई वर्ष पूर्व नगर परिषद के हवाले कर दिया गया है. अब उसकी जिम्मेदारी नगर परिषद की है. जलमीनार का संचालन और देखरेख भी नगर परिषद को ही करना है. क्यों बंद है ये जानकारी मुझे नहीं है. मोनिका कुमारी, सहायक कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी विभाग

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