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Father’s Day: परेशानियों की धूप में बरगद की छांव! जानें बॉलीवुड स्टार्स के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं उनके पिता

Father’s Day 2023: फादर्स डे जून के तीसरे सप्ताह के रविवार को पूरी दुनिया में मनाया जाता है. इस खास दिन मनाने का उद्देश्य अपने जीवन में पिता के महत्व को समझते हुए उन्हें सम्मान देना होता है. आइये जानते हैं कि वो बॉलीवुड स्टार को बिहार से हैं उनके जीवन में पिता का क्या योगदान रहा..

बिहार के रहने वाले मिर्जापुर फेम पंकज त्रिपाठी बताते हैं कि बाबूजी मेरेआदर्श रहे हैं, विषम परिस्थितियों में परिवार को खेती- किसानी और पूजा-पाठ करके पालना, हम सब बच्चों को पढ़ाना- लिखाना सब कुछ किया. उन्होंने हमेशा खुद से पहले परिवार को रखा. कलाकार के तौर पर ही नहीं मेरा पूरा वजूद ही उन्ही से है. मेरे पिता मेरी अब तक की पूरी यात्रा में सपोर्ट सिस्टम की तरह रहे हैं. एक्टिंग को कैरियर के तौर पर जब मैंने चुनने का फैसला किया और उनसे अनुमति मांगी, तो उन्होंने ही सहमति दी थी. उनके लिए मेरे उस फैसले पर सहमति देना आसान नहीं था. क्योंकि हमारे माहौल के लिए कलाकार बनने का फैसला पारंपरिक नहीं था, लेकिन उन्होंने लोगों की सोच के खिलाफ जाकर मेरे कलाकार बनने के सपने को सपोर्ट किया.

हर कदम पर पापा ने मेरा सपोर्ट किया: सोनाक्षी सिन्हा

मैं कुछ भी करती हूं, मेरे पापा ने हमेशा उसमें सपोर्ट किया है. मैं जब फैशन डिजाइनर थी, तो भी वह मुझ पर बहुत प्राउड फील करते थे और आज जब मैं एक कलाकार हूं, तब भी उनको मुझ पर काफी प्राउड है. अभिनय का उनका इतना लंबा कैरियर रहा है, लेकिन उन्होंने कभी भी मेरे फैसलों में कहीं कोई दखलंदाजी नहीं की. यहां तक कि मेरे पापा मुझे मेरे हिस्से के फैसले लेने के लिए हमेशा मोटिवेट ही करते रहे हैं. वे मुझे कहते हैं कि मेरी तरह तुम भी सेल्फ मेड हो. मुझे उनकी यह बात बहुत खुशी देती है. वे हमेशा मुझे गाइड करते हैं, मेरे पापा का हमेशा से ये कहना था कि दूसरे से बेहतर नहीं, बल्कि अलग बनने की कोशिश करो. मेरे पापा मेरेआदर्श रहे हैं.

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मेरी हर सांस उनकी ऋणी है: रवि किशन

मेरे पिताजी मंदिर में पुजारी थे. सिनेमा को वह अच्छा नहीं समझते हैं, जैसे आमतौर पर उस दौर के लोग हुआ करते थे. इसलिए मुझे कलाकार बनाने में उनका सहयोग सीधे तौर पर कभी नहीं रहा, लेकिन कलाकार बनने के लिए जो मेरा संघर्ष था, उसके लिए जुझारूपन उनसे ही मिला था. वह मेरे गुरु थे. पूजा पाठ के साथ – साथ उन्होंने मुझे आध्यात्मिकता से भी जोड़ा. वे मुझे सुबह उठने के लिए बहुत मारते थे. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठाते थे, तकरीबन सुबह चार बजे और कसरत करवाते थे. उस वक्त तो समझ नहीं आता था, लेकिन अभी समझ आता है कि उन सबके पीछे की वजह क्या है. वे मुझे जीवन की हर चुनौती के लिए तैयार करना चाहता थे. आज मेरी हर सांस उनकी ऋणी है.

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